द बिग पिक्चर: सिक्किम-भूटान-तिब्बत से सटा डोका-ला क्षेत्र विवादित क्यों हैं?

द बिग पिक्चर: सिक्किम-भूटान-तिब्बत से सटा डोका-ला क्षेत्र विवादित क्यों हैं?

प्रसारण तिथि- 28.06.2017

चर्चा में शामिल मेहमान
राज कादयान
(पूर्व उप-सेनाध्यक्ष)
शीलकांत शर्मा
(पूर्व राजनयिक)
जयंत जैकब
(वरिष्ठ सहायक संपादक-हिंदुस्तान टाइम्स)
कोमोडोर (रिटा.) सी. उदय भास्कर
(निदेशक-सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज़)
एंकर- फ्रैंक रौशन परेरा

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध।
(खंड-19: भारत एवं इसके पड़ोसी—संबंध।)

संदर्भ

सिक्किम के एक क्षेत्र में भारतीय सीमा के अंदर चीनी सैनिकों के घुसने के बाद तनाव काफी अधिक बढ़ गया है। भारतीय सेना और चीन की जनमुक्ति सेना के बीच हुई झड़पों (धक्का-मुक्की की घटनाओं) के बाद गृह मंत्रालय के उच्चाधिकारियों ने स्थिति की समीक्षा की|

भारत-चीन के बीच जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक सीमा की कुल लम्बाई 3488 किमी. है, जिसमें से केवल 220 किमी. हिस्सा सिक्किम में है| चूँकि इस इलाके में सीमा रेखा पूरी तरह स्पष्ट नहीं है इसलिये कोई स्पष्ट आधार नहीं है सीमा का|

जून के पहले हफ्ते में आपसी झड़पों के बाद चीन की सेना ने भारतीय सेना के कुछ बंकर नष्ट कर दिये थे| इसके बाद चीन ने सिक्किम के नाथू-ला से होने वाली कैलास मानसरोवर यात्रा पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि भूस्खलन के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है| इसके बाद चीन ने भारतीय सैनिकों द्वारा सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया और भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग की|

वर्तमान स्थिति


सिक्किम-भूटान-तिब्बत से सटे डोका-ला क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिक अपनी पोजीशनों पर डटे हैं। चीनी सेना के जवान विवादित क्षेत्र में सड़क निर्माण के भारी-भरकम उपकरणों के साथ मौजूद हैं। सिक्किम सेक्टर के डोंगलांग के जिस इलाके में चीन की ओर से सड़क बनाने का भारतीय सैनिकों ने विरोध किया, वहाँ चीन का कहना है कि यह सीमा भूटान से लगती है और भारत तीसरा पक्ष है, उसे इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है| जबकि वास्तविकता यह है कि भूटान के विदेश और रक्षा मामलों को भारत देखता है और ऐसे में भारत को चीन से इस मसले को सुलझाने का पूरा अधिकार है|

क्या है चीन का कहना: चीन के विदेश मंत्रालय ने इस क्षेत्र में सड़क बनाने को उचित ठहराते हुए कहा कि 1890 की सिनो-ब्रिटिश संधि के तहत यह उसका क्षेत्र है। सिक्किम का प्राचीन नाम झी (Zhe) था। जहाँ चीन यह सड़क बना रहा है, उस इलाके का एक हिस्सा भूटान के पास भी है। चीन का भारत के अलावा भूटान से भी इस इलाके को लेकर विवाद है। चीन-भूटान के बीच इस इलाके को लेकर 24 बार बातचीत हो चुकी है।

क्या है विवाद की वजह: दरअसल, चीनी सेना इस इलाके में सड़क निर्माण करने की कोशिश कर रही है। चीन पहले ही सामरिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माने जाने वाले चुंबी घाटी इलाके में सड़क बना चुका है, जिसे वह और विस्तार देने की कोशिश कर रहा है। यह सड़क भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर या 'चिकन नेक' इलाके से केवल पाँच किमी. दूर है। यह सिलिगुड़ी कॉरिडोर ही भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है।

प्रमुख बिंदु

1- यह कम आश्चर्यजनक बात नहीं कि बीते 50 वर्षों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (भारत-चीन सीमा को इसी नाम से जाना जाता है) के इस क्षेत्र में गोलीबारी की एक भी घटना नहीं हुई।

2-इस घटना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से भी जोड़कर देखा जा रहा है| भारत-अमेरिका की दोस्ती को दक्षिण चीन सागर में चीन का प्रभाव कम करने के तौर पर देखा जाता है|

3-नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा को लेकर चीनी मीडिया ने काफी हो-हल्ला मचाया और अमेरिका-भारत के बीच ड्रोन विमानों को लेकर हुई डील को क्षेत्र की स्थिरता के लिये खतरा बताया|

4- जब चीन के राष्ट्रपति ज़ी जिनपिंग भारत यात्रा पर आए थे, तब भी चीन ने सीमा पर तनाव उत्पन्न करने का प्रयास किया था|

5-दलाई लामा के मुद्दे पर भी चीन और भारत के बीच मतभेद हैं| दलाई लामा के हालिया अरुणाचल दौरे को लेकर भी चीन ने आपत्ति जताई थी| चीन अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र मानता है और इसे दक्षिण तिब्बत का एक भाग बताता है|

6-चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor-CPEC) को लेकर भी चीन भारत से नाराज़ है और हाल ही में शुरू हुए भारत-अफगानिस्तान हवाई माल ढुलाई गलियारे में भी CPEC को नज़रंदाज़ किया गया है|

7-भारत-पाकिस्तान संबंधों में चीन द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करना भी विवाद का एक कारण है, जबकि अन्य देशों के साथ चीन के विवाद में भारत कहीं दिखाई नहीं देता|

8-चीन यह भी मानता है कि उसके विकास को बाधित करने के लिये अमेरिका तथा अन्य यूरोपीय देशों के साथ भारत मिलकर काम कर रहा है|

9-भारत द्वारा OBOR में शामिल न होने को भी चीन अपने प्रति विरोध की तरह देखता है और वैश्विक शक्ति बनने की राह में बाधा मानता है|

10-दूसरी ओर चीन विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का विरोध करता रहा है, जैसे-NSG की सदस्यता को लेकर|

11-भारत-अमेरिका-जापान के बीच जुलाई में संयुक्त नौसैन्य अभ्यास ‘मालाबार’ होने जा रहा है, जिसे चीन अपने खिलाफ मानता है| इसलिये भी दबाव बनाने की रणनीति के तहत वह इस तरह की हरकतें करता रहता है|

12-दक्षिण चीन सागर को लेकर भी चीन ऐसा मानता है कि यह उसका और अन्य आसियान देशों के बीच का मुद्दा है और भारत-अमेरिका को इसमें हस्तक्षेप करने की कोई ज़रूरत नहीं है|

निष्कर्ष
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में चीन सीमा पर सैन्य गतिविधियाँ तेज़ की हैं| भारत ने अपनी सुरक्षा तैयारियों के मद्देनज़र चीन सीमा के लिये निम्न तैयारिया की हैं:

1-एक लाख सैनिकों की ‘माउंटेन स्ट्राइक कोर’ बनाने,

2-फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील,

3-भारतीय नौसेना के लिये अमेरिका से गार्डियन ड्रोन की खरीद,

4-हॉवित्जर तोप की खरीद समेत कई कदम उठाए हैं,

भारत के इन कदमों से चीन बौखलाया हुआ है| इसके अलावा चीन सीमा से लगते इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिये भी कई कदम उठाए गए हैं, जैसे-चीन बॉर्डर के पास ग्लोबमास्टर विमान की लैंडिंग, असम में चीन सीमा तक जाने वाले सड़क पुल का निर्माण एवं लेह तक रेल मार्ग के विस्तार की योजना आदि कई कदम ऐसे हैं जिन्हें चीन सीमा पर भारत की बढ़ती तैयारियों के रूप में देखता है|

यद्यपि भारत-चीन सीमा विवाद बेहद जटिल है, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दक्षिण एशिया में जो स्थिति है, इसमें दोनों देशों को, विशेषकर चीन को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के संदर्भ में ठोस पहल करनी होगी। यह देखते हुए कि चीन इस क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखने का इच्छुक नहीं है, भारत को कहीं अधिक यथार्थवादी और कारगर सोच अपनानी होगी|

 

 

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