प्रश्न :प्रशांत महासागर के तल के संविन्यास का वर्णन कीजिए

प्रश्न :प्रशांत महासागर के तल के संविन्यास का वर्णन कीजिए 

पहले महासागरों के तल को समतल माना जाता था । लेकिन अब इसके प्रत्यक्ष साक्ष्य मिले हैं कि उसके तलों में भी ठीक उसी तरह की विविधता होती है, जैसी कि पृथ्वी के ऊपर के धरातल में विविधताएं होती हैं । इसीलिए महासागरों के अन्दर के विविध रूपों के नाम भी पृथ्वी के ऊपर पाये जाने वाले रूपों के अनुसार ही दिये गये हैं । समझने और याद रखने की दृष्टि से ऐसा करना अधिक व्यावहारिक था ।

महासागरीय तल को मुख्यतः 4 भागों मे बाँटा गया है –

(1) महाद्वीपीय मग्न तट -  (continental shelf)   

(2) महाद्वीपीय ढाल - (continental slope)  

(3) महाद्वीपीय उत्थान - (continental rise)  

(4) वितल मैदान - (Abyyssal plain)

                                                      प्रशांत महासागर के तल का संविन्यास

 

      

  

   

                    पूर्वी भाग

                    पश्चिमी भाग

1-पूर्वी भाग द्वीपरहित तथा अमरीका के उपांत भाग में है। इसका अधिकतर भाग 18,000 फुट गहरा है।

2-इसका अधिकतर गहराई कम (13,000 फुट) है, तथा जिसको एल्बाट्रॉस पठार (albatross plateau) कहते थे, दक्षिणी अमरीका के पश्चिमी भाग में स्थित है।

3-इस चबूतरे की अन्य शाखाएँ उत्तर की ओर रियातट तथा पश्चिम में टूआमोटू, द्वीपसमूह, मारकेसस (Marquesas) द्वीप तथा दक्षिण में अंटार्कटिका तक फैली हैं।

 

1-इस सागर की सतह, मुख्यतया पश्चिम में, कई बड़ी बड़ी लंबी खाइयों (deep) से भरी पड़ी है।

2-कुछ महत्वपूर्ण खाइयों के नाम तथा गहराइयाँ इस प्रकार हैं ट्यूसीअरोरा (Tusearora) 32,644 फुट, रंपा (Rampa) 34, 626 फुट, नैरो (Nero) 32,107 फुट, एल्ड्रिच (Aldrich) 30,930 फुट आदि।

3-उत्तरी प्रशांत महासागर में सबसे अधिक गहराई अल्यूशैन द्वीप के पास पाई जाती है, जो 25,194 फुट है।

 

टिप्पणी:

1- प्रशांत महासागर के उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम से होता हुआ भूपटल का सबसे कमजोर भाग गुजरता है। इसके कारण यहाँ पर अधिकतर भूकंप एवं ज्वालामुखियों के उद्गार हुआ करते हैं। अभी भी यहाँ 300 ऐसे ज्वालामुखी पर्वत हैं, जिनमें से निरंतर उद्गार हुआ करते हैं। इस महासागर में छिटके द्वीपों का उद्भव प्रवालवलय, ज्वालामुखी अथवा भूकंपों के द्वारा हुआ है

2- प्रशांत महासागर का वह भाग, जो कर्क रेखा तथा मकर रेखा के मध्य में है, मध्य प्रशांत महासागर कहा जाता है। कर्क के उत्तरी क्षेत्र को उत्तरी प्रशांत महासागर तथा मकर के दक्षिण स्थित भाग को दक्षिणी प्रशांत महासागर के नाम से संबोधित किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन (International Hydrographic Organization) द्वारा इसे दो भागों में विभक्त करने के लिये भूमध्य रेखा का सहारा लिया गया है। 1500 पं॰ दे. पूर्वी प्रशांत के उन्हीं भागों के लिये प्रयुक्त होता है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में है। इसकी खोज स्पेनवासी बैबैओ (Babbao) ने की तथा इसने प्रशांत महासागर को पनामा नामक स्थान पर दक्षिणी सागर नाम दिया।

 

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