प्रश्न. पी-नोट्स पर नए नियमों से छटपटाए निवेशक;स्पष्ट कीजिये?

प्रश्न. पी-नोट्स पर नए नियमों से छटपटाए निवेशक;स्पष्ट कीजिये?

उत्तर.

सहभागी नोट या पर्टिसिपेटरी नोट्स (Participatory Notes) उन प्रपत्रो (instruments) को कहते हैं जिन्हें पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक(FIIs), विदेशों में स्थित निवेशकों को देते हैं ताकि वे सेबी में पंजीकृत हुए बिना भी भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकें। इन्हें पी-नोट्स (P-notes) भी कहते हैं। पी-नोट्स के माध्यम से निवेश करना बहुत सरल है अतः विदेशी संस्थागत निवेशकों(FII) के मध्य यह तरीका बहुत लोकप्रिय है। इसका आरम्भ 1992  में किया गया था। पार्टिसिपेटरी नोट यानी (पी-नोट) एक तरह का ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट होता है।

सुर्खियों में क्यों हैं पी-नोट्स?

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) को ब्लैक मनी पर रोकथाम के लिए उपाय सुझाने का जिम्मा दिया गया है। SIT ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि सेबी को पी-नोट्स के रियल ओनर्स की पहचान करने और उसके ट्रांसफर पर पाबंदी लगाने के लिए और कदम उठाने चाहिए।पी-नोट्स इश्यूअर से जानकारी लेने की पावर सेबी के पास पहले से ही है, लेकिन जिन मामलों में कई लेवल पर ट्रांजैक्शन होते हैं, उनमें एंड बेनेफिशरी पी-नोट के पहले बायर से अलग हो सकता है। कमिटी को संदेह है कि टैक्स चोर अपनी ब्लैक मनी इंडियन सिक्यॉरिटीज में छिपाने के लिए इस रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले भी इंडियन प्रमोटर्स के अपनी ही कंपनियों पर दांव लगाने के लिए पी-नोट यूज करने की आशंकाएं जताई जाती रही हैं।

 पी-नोट्स से जुडी चिंताओ पर सरकारी पहल -

1-काले धन पर गठित ‘विशेष जाँच दल’ (Special Investigation Team: SIT) ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड )SEBI) से पी-नोट्स के माध्यम से निवेश करने वाले सभी व्यक्तियों से संबंधित संपूर्ण विवरण प्रस्तुत करने को कहा है। इसमें पी-नोट्स के माध्यम से काले धन का निवेश करने वाले निवेशकों द्वारा प्रयुक्त अंतरण मार्ग तथा सभी लाभ प्राप्तकर्ताओं की जानकारी शामिल है।  SIT को संदेह है कि इन व्यक्तियों का पनामा की कानूनी फर्म ‘मोजैक फोंसेका’ द्वारा संचालित कंपनियों के साथ संबंध हो सकता है जिनकी सहायता से राउंड ट्रिपिंग के माध्यम से अनेक भारतीय निवेशकों ने ‘टैक्स इवेजन’ (Tax evasion) किया।

2-SEBI ने 2011 में पी-नोट्स  के लिये भी ‘अपने ग्राहक को जानो )KYC)’ मानदंडों को लागू करने तथा पी-नोट्स के माध्यम से किये जाने वाले समस्त लेनदेन का वितरण जमा कराने को अनिवार्य कर दिया है। 3-वर्ष 2014 में SEBI ने नए नियमों में उन विदेशी पोर्टफोलियों निवेशकों )FPIs) के लिये अपने पोर्टफोलियों का खुलासा करते हुए मासिक रिपोर्ट जमा कराना अनिवार्य कर दिया जो पी-नोट्स जारी करते हैं

4- पी-नोट्स पर Prevention of Money Laundering Act (PMLA) भी लागु होगा

5- सेबी ने विदेशी ब्रोकर्स द्वारा इश्‍यू किए जाने वाले हर पी-नोट्स इश्‍यू पर लेवी (65000 रूपए) लगाने का फैसला किया है।

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