केंद्रीय सड़क निधि (संशोधन) विधेयक, 2017
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन |
चर्चा में क्यों ?
लोकसभा द्वारा केन्द्रीय सड़क निधि (संशोधन) विधेयक, 2017 को पारित कर दिया गया है। इस विधेयक को केन्द्रीय सड़क निधि अधिनियम, 2000 में संशोधन करने के लिये लाया गया था, जिसके माध्यम से उच्च गति वाले पेट्रोल और डीज़ल पर लगाया गए उपकर को ग्रामीण सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे, राज्य सड़कों और सीमा क्षेत्र सड़कों के विकास के लिये वितरित करने संबंधी प्रावधान किया गया है।
केन्द्रीय सड़क निधि (संशोधन) विधेयक, 2017 विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
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1-अंतर्देशीय जलमार्ग का समावेशन:
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1-इस विधेयक के अंतर्गत उन सभी जलमार्गों को जिन्हें राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम (National Waterways Act), 2016 के तहत 'राष्ट्रीय जलमार्ग' के रूप में घोषित किया गया है, को परिभाषित किया गया है। 2-वर्तमान में इस अधिनियम के तहत 111 जलमार्गों को निर्दिष्ट किया गया हैं। 3- वर्तमान विधेयक में राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास एवं रख-रखाव में तेजी लाने के लिए सृजित सीआरएफ के 2.5% का आवंटन करने का उल्लेख किया गया है। इसके तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए आवंटित हिस्से में 2.5% की कटौती की जाएगी। इससे राष्ट्रीय जलमार्गों के लिए अंतरिम रूप से लगभग 2300 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित होगा।
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2-निधि का उपयोग:
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2000 अधिनियम के तहत, इस निधि का उपयोग निम्नलिखित सड़क परियोजनाओं के लिये किया जा सकता हैं – ⇒ राष्ट्रीय जलमार्ग
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केंद्र सरकार की शक्तियाँ :
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इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार को निधि का संचालन करने की शक्ति प्रदान की गई है। इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा निम्नानुसार निर्णय लिये जाएंगे-
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4-सेंट्रल रोड फंड (Central Road Fund) |
राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों के विकास तथा रखरखाव हेतु निधि बनाने के लिये केंद्रीय सड़क निधि अधिनियम (Central road fund act) 2000 के तहत केंद्र सरकार द्वारा एक केंद्रीय सड़क निधि की स्थापना की गई है। इसके तहत फंड को जुटाने के लिये सेंट्रल रोड फंड एक्ट, 2000 के अंतर्गत पेट्रोल और हाई स्पीड डीज़ल तेल पर उपकर, आबकारी और सीमा शुल्क के रूप में लेवी जमा करने का प्रस्ताव रखा गया था। इस निधि का उपयोग मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर सड़क ओवरब्रिज और अंडर ब्रिज (overbridges/under bridges) का निर्माण करने तथा अन्य सुरक्षा सुविधाओं के लिये किये जाने का प्रावधान किया गया है।
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निष्कर्ष:
केन्द्रीय सड़क कोष (संशोधन) विधेयक, 2017 आज लोकसभा में पारित हो गया। इस विधेयक का उद्देश्य केन्द्रीय सड़क कोष (सीआरएफ) अधिनियम, 2000 में संशोधन करना है, जिसके जरिए हाई स्पीड पेट्रोल और डीजल पर लगाए एवं एकत्रित किये गये उपकर को ग्रामीण सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे, राज्यों की सड़कों और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित सड़कों के विकास के लिए वितरित किया जाता है। वर्तमान विधेयक में राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास एवं रख-रखाव में तेजी लाने के लिए सृजित सीआरएफ के 2.5 प्रतिशत का आवंटन करने का उल्लेख किया गया है। इसके तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए आवंटित हिस्से में 2.5 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। इससे राष्ट्रीय जलमार्गों के लिए अंतरिम रूप से लगभग 2300 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित होगा।
राष्ट्रीय जलमार्ग परिवहन का किफायती, लॉजिस्टिक दृष्टि से दक्ष एवं पर्यावरण अनुकूल साधन मुहैया कराते हैं, जिसका विकास एक पूरक मोड के रूप में होने से अत्यंत भीड़-भाड़ वाली सड़कों एवं रेलवे से यातायात जलमार्ग की ओर उन्मुख होगा। राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के बन जाने से राष्ट्रीय जलमार्गों की कुल संख्या अब 111 हो गई है। इससे देश में राष्ट्रीय जलमार्गों के बेहतर नियमन एवं विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
कैबिनेट ने 24 मई, 2017 को आयोजित अपनी बैठक में संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी थी यह विधेयक 24 जुलाई, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह विधेयक लोकसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया।