भारतमाला सड़क परियोजना

भारतमाला सड़क परियोजना

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन
(खंड-9: बुनियादी ढाँचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

  संदर्भ

भारत में परिवहन परिदृश्य बहुत तेजी से बदल रहा है और देश के विकास में यह बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में है। इस काम में भारतमाला सड़क परियोजना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है और इसके तहत 44 आर्थिक कॉरीडोरों की पहचान की गई है।

क्या है भारतमाला सड़क परियोजना? 

केंद्र सरकार सभी मौजूदा राजमार्ग परियोजनाओं को भारतमाला के तहत लाने की योजना पर काम कर रही है।

इसके अमल में आने पर राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना सहित अन्य सभी राजमार्ग निर्माण कार्यक्रम इसके तहत आ जाएंगे। 

राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के बाद भारतमाला दूसरी सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है। 

राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना में लगभग 50,000 किमी. सड़कों का विकास हुआ, जिसमें स्वर्णिम चतुर्भुज भी शामिल है, जो श्रीनगर से कन्याकुमारी और पोरबंदर को सिलचर से जोड़ता है। 

राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के तहत अभी और 10 हज़ार किमी. सड़कों का निर्माण पूरा होना है।

भारतमाला के तहत बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण कार्य किया जाएगा, जिसमें सीमा क्षेत्रों में सड़कों का नेटवर्क बिछाया जाना भी शामिल है। 

इसके अलावा सभी ज़िला मुख्यालयों को सड़कों के साथ जोड़ने की योजना है। 

आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों सहित दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान करने पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा नौवहन मंत्रालय ने पूरे देश में यातायात प्रवाह के व्यापक और वैज्ञानिक अध्ययन किये हैं।

इन अध्ययनों के बाद भारतमाला सड़क परियोजना के तहत 26,200 किमी. लंबे 44 आर्थिक कॉरीडोरों की पहचान कर उनका विकास/सुधार करने की योजना बनाई गई है। 

इन कॉरीडोरों पर यातायात का दबाव काफी अधिक है, इसलिये केंद्र सरकार माल ढुलाई में परिवहन अवरोधों को दूर करने के लिये इन आर्थिक गलियारों पर काम कर रही है।

भारतमाला सड़क परियोजना के पहले चरण में 9,000 किमी. आर्थिक गलियारों को विकसित करने का प्रस्ताव है।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भारतमाला सड़क परियोजना में शामिल लगभग 9,300 किमी. की सड़कों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिये 30 कंसल्टेंसी  पैकेज़ देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

प्रथम चरण में आर्थिक गलियारों के विकास के अलावा इंटर-कनेक्टिंग कॉरीडोर, फीडर रूट्स, इंटरनेशनल कनेक्टिविटी और तटवर्ती सड़कें भी शामिल हैं।

राजमार्गों के मामले में यह स्वर्णिम चतुर्भुज के बाद का सबसे बड़ा विस्तार होगा। स्वर्णिम चतुर्भुज देश के चारों कोनों को राजमार्गों से जोड़ने वाली 13 हज़ार किलोमीटर लंबी योजना थी।

क्या होगा इन गलियारों में?

आर्थिक गलियारों के नाम से बनने वाले इन राजमार्गों से रोज़गार के अवसर तो उत्पन्न होंगे ही, साथ ही आर्थिक गतिविधियों में भी तेज़ी आएगी। 

इन आर्थिक गलियारों का निर्माण इस प्रकार किया जाएगा कि ये 30 बड़े शहरों को जोड़ेंगे और इन शहरों को यातायात की समस्याओं से भी छुटकारा दिलाएंगे। 

इस शहरों के पास रिंग रोड बनेंगी और माल की लोडिंग-अनलोडिंग के लिये लॉजिस्टिक्स हब बनाए जाएंगे।

इस योजना के तहत बनने वाले राजमार्गों का विस्तार मैनुफैक्चरिंग हब और बंदरगाहों तक होगा।

आर्थिक गलियारे के तहत बनने वाले 26,200 किमी. राजमार्गों के अलावा 15 हज़ार किलोमीटर लंबे फीडर रूट्स भी बनेंगे, जो इन गलियारों को जोड़ेंगे। 

इन 44 आर्थिक गलियारों तथा स्वर्णिम चतुर्भुज को 40 इंटर-कनेक्टिंग कॉरीडोर जोड़ेंगे। 

सड़कों के जाल को पहचाने के लिये सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों को राष्ट्रीय कॉरीडोर, आर्थिक कॉरीडोर और फीडर रोड्स का नाम दे सकती है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India, संक्षिप्त नाम: NHAI  अथवा भाराराप्रा)  भारत का सरकारिक का उपक्रम है। इसका कार्य इसे सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्गो का विकास, रखरखाव और प्रबन्धन करना और इससे जुड़े हुए अथवा आनुषंगिक मामलों को देखना है।

स्थापना

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन संसद के एक अधिनियम, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम,1988 के द्वारा किया गया था।

प्राधिकरण ने फरवरी,1995 में पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति के साथ कार्य करना शुरू किया।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक-2013 का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का विस्तार करना है।

स्वर्णिम चतुर्भुज

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना (Golden Quadrilateral Project संक्षिप्त नाम:GQ अथवा जीक्यू) 5,846 किलोमीटर लंबी सड़क का नेटवर्क बनाने की एक परियोजना है, जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को आपस में जोड़ती है। इसे वर्ष 2000 में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने शुरू किया था लेकिन, पूरी हो जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का पहला चरण पूरा करने के लिए अब तक कोई तय तिथि नहीं है। पहले चरण में जीक्यू के अलावा 380 किलोमीटर लंबी बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़क और उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम गलियारे के कुछ हिस्से शामिल हैं।

आधिकारिक घोषणा

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीने 24 अक्टूबर 1998को इन परियोजनाओं की आधिकारिक घोषणा की और काम शुरू हो गया। पहली, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के अन्तर्गत  दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और  चेन्नईको आपस में जोड़ते हुए 5,846 किमी. लम्बे राजमार्ग को चार अथवा छह मार्गीय बनाया जा रहा है। तबसे 25,055 करोड़ रुपए की लागत वाली इस योजना पर काम तेजी से चल रहा है। 950 किमी. मार्ग तो बनकर तैयार है।

                                          स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की लंबाई

कहाँ से

कहाँ तक

मुख्य जंक्शन

लम्बाई (कि.मी.)

दिल्ली

कोलकाता

राष्ट्रीय राजमार्ग 2

1,453

दिल्ली

मुंबई

राष्ट्रीय राजमार्ग 8,  राष्ट्रीय राजमार्ग 79A, राष्ट्रीय राजमार्ग79, राष्ट्रीय राजमार्ग76

1,419

मुंबई

चेन्नई

राष्ट्रीय राजमार्ग 4, राष्ट्रीय राजमार्ग 7, राष्ट्रीय राजमार्ग 46

1,290

कोलकाता

चेन्नई

राष्ट्रीय राजमार्ग 5,राष्ट्रीय राजमार्ग 6, राष्ट्रीय राजमार्ग 60,

1,684

कुल यात्रा मार्ग

5,846 किलोमीटर

भारतमाला सड़क परियोजना

इस योजना के तहत बनने वाले राजमार्गों का विस्तार मैनुफैक्चरिंग हब और बंदरगाहों तक होगा।

आर्थिक गलियारे के तहत बनने वाले 26,200 किमी. राजमार्गों के अलावा 15 हज़ार किलोमीटर लंबे फीडर रूट्स भी बनेंगे, जो इन गलियारों को जोड़ेंगे। 

इन 44 आर्थिक गलियारों तथा स्वर्णिम चतुर्भुज को 40 इंटर-कनेक्टिंग कॉरीडोर जोड़ेंगे। 

सड़कों के जाल को पहचाने के लिये सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों को राष्ट्रीय कॉरीडोर, आर्थिक कॉरीडोर और फीडर रोड्स का नाम दे सकती है।

 

 

 

 

Please publish modules in offcanvas position.