QUIZ 26

 QUIZ 26

 [1] ‘राष्ट्रीय कंपनी लॉ अधिकरण’ (National Company Law Tribunal - NCLT) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सत्य हैं?
1. यह एक सांविधिक संस्था है, जिसे ‘कंपनी अधिनियम, 2013’ (The Companies Act, 2013) के तहत गठित किया गया है।
2. इसकी स्थापना ‘कंपनी लॉ बोर्ड’ को विघटित कर की गई है।
3. ‘इन्सोल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड, 2016’ के अंतर्गत शामिल कॉरपोरेट दिवालियेपन के मामले को एक बार एन.सी.एल.टी. द्वारा ले लिये जाने के पश्चात वापस नहीं लिया जा सकता है।
कूटः

A)

केवल 1 और 2

B)

केवल 2 और 3

C)

केवल 1 और 3

D)

1, 2 और 3

उत्तरः (D)
व्याख्याः

‘राष्ट्रीय कंपनी लॉ अधिकरण’ एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन ‘कंपनी अधिनियम, 2013' के अंतर्गत किया गया है। यह एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय है। 1 जून, 2016 को एक अधिसूचना के माध्यम से ‘कंपनी अधिनियम, 2013’ के तहत ‘कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय’ (MCA) द्वारा दो संस्थाओं का गठन किया गया था।

एन.सी.एल.टी. के गठन के साथ ही ‘कंपनी अधिनियम, 1956’ के तहत गठित ‘कंपनी लॉ बोर्ड’ (CLB) को समाप्त कर दिया गया। वर्तमान में देश भर में एन.सी.एल.टी. की कुल 11 बेंच कार्यरत हैं, जिनमें दिल्ली में 2 एवं कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, इलाहाबाद, चंडीगढ़, बंगलुरु, हैदराबाद तथा गुवाहाटी में एक-एक बेंच स्थित है।

                                 ‘इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया’ विनियम, 2017 

1-यह नया कानून 1909 के 'प्रेसीडेंसी टाऊन इन्सॉल्वेंसी एक्ट’ और 'प्रोवेंशियल इन्सॉल्वेंसी एक्ट 1920 को रद्द करता है तथा कंपनी एक्ट, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट और 'सेक्यूटाईजेशन एक्ट' समेत कई कानूनों में संशोधन करता है।

2- बैंकरप्सी कोड के तहत दिवालियापन प्रक्रियाओं को 180 दिनों के अंदर निपटाना होगा। यदि दिवालियापन को सुलझाया नहीं जा सकता, तो ऋणदाता (Creditors) का ऋण चुकाने के लिये उधारकर्त्ता (borrowers) की परिसंपत्तियों को बेचा जा सकता है।

 ध्यातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने ‘पूर्ण न्याय की संवैधानिक शक्ति’ (constitutional power of complete justice – Art.142) का प्रयोग करते हुए दो कॉरपोरेट ऋणधारियों के दिवालियेपन के मामले को एन.सी.एल.टी. में जाने से रोकते हुए, उन्हें अपने ऋण विवादों को निपटाने का मौका प्रदान किया है। क्योंकि, ‘इन्सोल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड, 2016’ के अंतर्गत शामिल कॉरपोरेट दिवालियेपन के मामले को एक बार एन.सी.एल.टी. द्वारा ले लिये जाने के पश्चात पार्टियों के आपस में मामले को निपटाने का निर्णय लेने के बावजूद भी इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।

                                                           संविधान का अनुच्छेद 142

1-जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सर्वोपरि|

अपने न्यायिक निर्णय देते समय न्यायालय ऐसे निर्णय दे सकता है जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिये आवश्यक हों और इसके द्वारा दिये गए आदेश सम्पूर्ण भारत संघ में तब तक लागू होंगे जब तक इससे संबंधित किसी अन्य प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है|

2-संसद द्वारा बनाए गए कानून के प्रावधानों के तहत सर्वोच्च न्यायालय को सम्पूर्ण भारत के लिये ऐसे निर्णय लेने की शक्ति है जो किसी भी व्यक्ति की मौजूदगी, किसी दस्तावेज़ अथवा स्वयं की अवमानना की जाँच और दंड को सुरक्षित करते हैं|

 

 [2] ‘टी.एक्स.2 लक्ष्य’ (Tx2 goal) या ‘सेन्ट पीटर्सबर्ग घोषणा’ (St. Petersburg declaration) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
       

1. नेपाल तथा 12 अन्य बाघ श्रेणी के देशों (tiger range countries) द्वारा वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं ।

2.यह एक 12 वर्षीय (2017-2029) घोषित लक्ष्य है।

3. इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु देशों की सहायता ‘विश्व वन्यजीव कोष’ संस्था द्वारा की जाती है।
कूट:

A)

केवल 1 और 2

B)

केवल 2 और 3

C)

केवल 1 और 3

D)

1, 2 और 3

 

उत्तर: (D)
व्याख्या:

टी.एक्स.2 लक्ष्य (Tx2 goal)

ध्यातव्य है कि पिछले सौ वर्षों में बाघों की आबादी 97% कम हो गई है। वर्ष 2016 में हुई जनगणना के आधार पर वर्तमान में बाघों की कुल संख्या लगभग 3,890 है। अतः इनके संरक्षण हेतु वर्ष 2010 में ‘सेंट पीटर्सबर्ग’ में हुए ‘टाइगर शिखर सम्मेलन’ (Tiger Summit) में नेपाल तथा 12 अन्य बाघ श्रेणी के देशों (tiger range countries) द्वारा वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। यह एक 12 वर्षीय (2010-2022) लक्ष्य है तथा इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु देशों की सहायता ‘विश्व वन्यजीव कोष’ (World Wildlife Fund- WWF) संस्था द्वारा की जाती है।

गौरतलब है कि वर्ष 2010 की बाघ जनगणना के अनुसार, जहाँ भारत में केवल 1706 बाघ पाए गए थे, वहीं इन लक्ष्यों को पाने की ओर किये गए समग्र प्रयासों से वर्ष 2014 में इनकी संख्या बढ़कर 2226 हो गई। वर्तमान में भारत में पाए जाने वाले बाघों की संख्या विश्व के कुल बाघों की संख्या का लगभग 70% है।

 

[3] ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (Central Statistical Office) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सत्य हैं?
1. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय देश में सांख्यिकीय गतिविधियों का समन्वय तथा सांख्यिकीय मानकों का विकास करता है।
2. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ (Ministry of Statistics and Programme Implementation - MoSPI) इसका नोडल मंत्रालय है।
3. यह प्रत्येक महीने ‘औद्योगिक उत्पादन सूचकांक’ (Index of Industrial Production) रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
4. यह सतत् विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये उत्तरदायी है।
कूटः

A)

केवल 1, 2 और 3

B)

केवल 1, 3 और 4

C)

केवल 1, 2 और 4

D)

1, 2, 3 और 4

उत्तरः (D)
व्याख्याः

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय

Central Statistical Office – CSO

विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु मई 1951 में ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (CSO) की स्थापना की गई थी। यह कार्यालय देश में सांख्यिकीय गतिविधियों का समन्वयन तथा सांख्यिकीय मानकों का विकास करता है। यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकडों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ-साथ ही आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण भी आयोजित करता है। यह देश में सतत् विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।

इसकी अध्यक्षता प्रमुख महानिदेशक (Director General) द्वारा की जाती है, जिनके सहयोग के लिये पाँच अपर महानिदेशक (Additional Director Generals) होते हैं। सी.एस.ओ. के अंतर्गत निम्नलिखित प्रभाग हैं-

राष्ट्रीय लेखा प्रभाग (National Accounts Division- NAD)

सामाजिक सांख्यिकी प्रभाग (Social Statistics Division- SSD)

आर्थिक सांख्यिकी प्रभाग (Economic Statistics Division- ESD)

प्रशिक्षण प्रभाग (Training Division)

समन्वय और प्रकाशन प्रभाग (Coordination and Publications Division- CAP)

‘सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ (Ministry of Statistics and Programme Implementation - MoSPI) इसका नोडल मंत्रालय है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा प्रत्येक माह ‘औद्योगिक उत्पादन सूचकांक’ (IIP) रिपोर्ट का प्रकाशन किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह राष्ट्रीय आय (National Income), आर्थिक जनगणना (Economic Census), मानव विकास सांख्यिकी (Human Development Statistics), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index), ऊर्जा सांख्यिकी (Energy Statistics) तथा बुनियादी ढाँचे सांख्यिकी (Infrastructure Statistics) जैसे आँकड़ों का भी प्रकाशन करता है।

 

 [4] ‘नुकसान विरुचि’ (Loss Aversion) निम्नलिखित में से किस स्थिति की ओर इंगित करता है?

A)

यह व्यक्ति/ संस्था/ अर्थव्यवस्था की उस स्थिति को सूचित करता है, जिसमें व्यक्ति/ संस्था/ अर्थव्यवस्था को लगातार हानि का सामना करना पड़ रहा है।

B)

यह एक ऐसी मनोदशा है, जिसमें व्यक्ति जोखिम लेने से बचता है।

C)

यह व्यक्ति में शारीरिक अक्षमता के कारण उत्पन्न हुई ‘कार्यों से विरक्ति’ की स्थिति को इंगित करता है।

D)

यह युद्ध के उपरांत उत्पन्न हुई वह स्थिति है, जिसमें व्यक्तियों में युद्ध के प्रति विरक्ति की भावना का विकास हो जाता है।

उत्तर: (b)
व्याख्या:

नुकसान विरुचि’ (Loss Aversion)

यह ‘व्यवहार अर्थशास्त्र’ (Behavioral Economics) से जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा है, जिसमें व्यक्ति जोखिम लेने से बचने का प्रयास करता है, फिर चाहे इससे होने वाले नुकसान की तुलना में होने वाले संभावित लाभ अधिक ही क्यों ना हों। व्यक्ति की इस मनोदशा को “हानि, समान मात्रा में हुए लाभ की तुलना में लोगों को अधिक दुःख पहुँचाती है” कथन के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है।

उदाहरण के तौर पर, सिक्के उछालने वाले गेम में यदि A, B से कहे कि ‘हेड’ (head) आने पर वह B को 2000 रुपए देगा और यदि ‘टेल’ (tail) आए, तो B को केवल 1800 रुपए ही देने होंगे। ऐसे में भी यदि B जोखिम लेने को तैयार ना हो, तो यह ‘Loss Aversion’ की स्थिति को इंगित करता है।

 

[5] ‘सांस्कृतिक मानचित्रण तथा रोडमैप पर राष्ट्रीय मिशन’ को निम्नलिखित में से किस/किन उद्देश्य/ उद्देश्यों हेतु प्रारंभ किया गया है?
1. नई प्रतिभाओं की खोज एवं उनकी सराहना करने हेतु।
2. ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक ‘राष्ट्रीय सांस्कृतिक जागरूकता कार्यक्रम’ के तहत विभिन्न सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियों का आयोजन कर सभी आयु वर्ग के कलाकारों का संरक्षण करने हेतु।
3. देश के कलाकारों, कारीगरों तथा विभिन्न कलारूपों का डेटाबेस तैयार करने हेतु।
कूटः

A)

केवल 3

B)

केवल 1 और 3

C)

1, 2 और 3

D)

केवल 1 और 2

उत्तरः (c)
व्याख्याः

‘सांस्कृतिक मानचित्रण तथा रोडमैप पर राष्ट्रीय मिशन’

National Mission on Cultural Mapping and Roadmap

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में (मार्च 2017 में) ‘सांस्कृतिक मानचित्रण तथा रोडमैप पर राष्ट्रीय मिशन’ को प्रारंभ किया गया है, जिसका उद्देश्य निम्नलिखित है:-

  1. नई प्रतिभाओं की खोज एवं उनकी सराहना करने हेतु।
    2. ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक ‘राष्ट्रीय सांस्कृतिक जागरूकता कार्यक्रम’ के तहत विभिन्न सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियों का आयोजन कर सभी आयु वर्ग के कलाकारों का संरक्षण करने हेतु।
    3. देश के कलाकारों, कारीगरों तथा विभिन्न कलारूपों का डेटाबेस तैयार करने हेतु।

वृहद् स्तर पर इस मिशन के अंतर्गत तीन महत्त्वपूर्ण उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. राष्ट्रीय सांस्कृतिक जागरूकता अभियान
(National Cultural Awareness Abhiyan)
हमारी संस्कृति हमारी पहचान अभियान
या
Our Culture our Identity
2. राष्ट्रव्यापी कलाकार प्रतिभा खोज/स्काउटिंग कार्यक्रम
(Nationwide Artist Talent Hunt/ Scouting Programme)
सांस्कृतिक प्रतिभा खोज अभियान
3. राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल
(National Cultural Workplace)
केंद्रीयकृत ट्रांजेक्शनल वेब पोर्टल का निर्माण करना, जिसमें समस्त कलारूपों तथा कलाकारों समेत सांस्कृतिक धरोहरों एवं संसाधनों के डेटाबेस तथा जनसांख्यिकी उपलब्ध हो।

इस मिशन को नीचे दिये गए योजनाबद्ध प्रवाह के माध्यम से विभिन्न परियोजनाओं के द्वारा पूर्ण किया जाएगा।

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