तड़ितझंझा से निर्मित मौसमी दशाओं की चर्चा कीजिये।

तड़ितझंझा से निर्मित मौसमी दशाओं की चर्चा कीजिये।

 

प्रश्न विच्छेद

• तड़ितझंझा से निर्मित मौसमी दशाओं की चर्चा कीजिये।

हल करने का दृष्टिकोण

• तड़ितझंझा का आशय स्पष्ट कीजिये।

• तड़ितझंझा से उत्पन्न मौसमी दशाओं को स्पष्ट कीजिये।

 

तड़ितझंझा एक प्रचंड स्थानीय तूफान है। इसकी उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में गर्म एवं आर्द्र हवाओं के प्रबल संवहन के कारण होती है। यह पूर्ण विकसित कपासी वर्षा मेघ हैं। इसमें बादल गर्जन, बिजली चमकना व तेज़ हवाएँ चलने की घटनाएँ होती हैं।

तड़ितझंझा से उत्पन्न मौसमी दशाएँ:

वर्षा: इसमें वायु प्रचंड वेग से ऊपर उठती है, जिस कारण संघनन तीव्रता से होता है और कम समय में ही मूसलाधार बारिश होती है। ऐसी स्थिति में लगता है कि मेघ ही फूट पड़े है, इसलिये इसे ‘बादलों का प्रस्फोटन’ भी कहते हैं।

ओलावृष्टि: हिमांक के नीचे संघनन के कारण तड़ितझंझा से कभी-कभी ओलावृष्टि भी होती है, किंतु जितने क्षेत्र पर झंझावात का विस्तार होता है, उसके किसी भाग में ओले गिरते हैं। निम्न अक्षांशों में तड़ितझंझा के साथ प्राय: उपल वृष्टि नहीं होती है।

बिजली का चमकना: बिजली का चमकना तड़ितझंझा की मुख्य विशेषता है। इसमें जल बूँदों में बराबर मात्रा में धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेश होता है किंतु बूँदों के टूटने से कहीं धन आवेश तो कहीं ऋण आवेश अधिक हो जाता है। बादलों के आधार में ऋणात्मक बिजली तथा ऊपरी भाग में धनात्मक बिजली के आवेश के बीच अंतर होने से तनाव बढ़ जाता है जिससे प्रकाश रेखाएँ उत्पन्न होती हैं। इसे ही बिजली का चमकना कहते हैं।

मेघ गर्जन: बिजली के चमकने से अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है जो वायु को इतनी तीव्रता से हटाती है कि एक तेज़ गर्जन उत्पन्न होता है।

तीव्र वात: झंझावत के पूर्ण विकसित हो जाने पर वर्षा के साथ-साथ ऊपर से ठंडी हवा तेज़ गति से पृथ्वी पर उतरती है। धरातल पर आकर ठंडी हवाएँ अपसरित होने लगती हैं, जिससे आक्रामक तूफान उत्पन्न होने लगते हैं।

यद्यपि तड़ितझंझा की अवधि कम होती है किंतु कम समय में ही यह अत्यधिक विनाशकारी साबित हो सकती है। यह व्यापक जान-माल की हानि का कारण बन जाती है।

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