प्रश्न: प्लेट विवर्तनिकी तथा द्वीप चापों पर पर्वत निर्माण के मध्य संबंध स्थापित कीजिये?

प्रश्न: प्लेट विवर्तनिकी तथा द्वीप चापों पर पर्वत निर्माण के मध्य संबंध स्थापित कीजिये?

उत्तर :

प्रश्न विच्छेद

• प्लेट विवर्तनिकी तथा द्वीप चापों पर पर्वत निर्माण के मध्य संबंध।

हल करने का दृष्टिकोण

• संक्षिप्त भूमिका लिखें।

• द्वीप चापों पर पर्वत निर्माण की प्रक्रिया को प्लेट विवर्तनिकी के माध्यम से स्पष्ट करें।

प्लेट विवर्तनिकी पर्वत निर्माण संबंधी आधुनिक मत है, जो प्लेटों के अभिसरण की तीन स्थितियों के आधार पर पर्वतों के निर्माण की व्याख्या करता है। इसके अंतर्गत महासागरीय-महाद्वीपीय, महाद्वीपीय-महाद्वीपीय तथा महासागरीय- महासागरीय प्लेटों का अभिसरण शामिल है।

जब अभिसारी प्लेट सीमा के दोनों ओर महासागरीय पटल की अवस्थिति होती है तो एक सागरीय पटल दूसरे के नीचे क्षेपित हो जाता है। परिणामस्वरूप इससे उत्पन्न संपीडन द्वारा द्वीप चापों पर पर्वतों का निर्माण होता है। द्वीप चाप मुख्यत: प्रशांत महासागर के पश्चिमी किनारे तथा हिंद महासागर के उत्तरी-पूर्वी किनारे पर विशेष रूप से पाए जाते हैं। महाद्वीपों तथा इस चापाकार द्वीपसमूहों के बीच छिछले समुद्र पाए जाते हैं जिन्हें पृष्ठ चाप बेसिन कहते हैं। जापान सागर, पृष्ठ चाप बेसिन का एक अच्छा उदाहरण है।

प्रत्येक चाप के महासागरीय किनारे की तरफ एक गहरा ट्रेंच पाया जाता है। इन ट्रेंचों का निर्माण प्लेटों के क्षेपण का परिणाम है। जब ये प्लेटें गहराई में प्रवेश करती हैं, तो अत्यधिक ताप के कारण पिघलने लगती हैं और पिघला हुआ मैग्मा ज्वालामुखीय चट्टानों के रूप में ऊपर उठने लगता है। ज्वालामुखी उद्भेदन की क्रिया ट्रेंच से महाद्वीप की ओर लगभग 200 किलोमीटर की क्षैतिज दूरी पर होती है। इससे उत्पन्न ताप एवं दाब के कारण चट्टानों में और अधिक रूपांतरण होता है। इसके परिणामस्वरूप विशाल पर्वतों का निर्माण होता है। इस तरह के उदाहरण जापान द्वीप चाप में मिलते हैं। यहाँ मुख्यत: हौन्शु द्वीप में 3000 से 4000 मीटर ऊँचे पर्वत हैं।

 

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