परि-प्रशांत क्षेत्र की मुख्य भू-भौतिकीय विशेषताओं का उल्लेख करें।(150 शब्द)

परि-प्रशांत क्षेत्र की मुख्य भू-भौतिकीय विशेषताओं का उल्लेख करें।(150 शब्द)     GS paper 1 #IAS #RAS #UPSC #Udaipur #Mewar

 उत्तर:

हल करने का दृष्टिकोण:

1-उत्तर की शुरुआत परि-प्रशांत क्षेत्र का संक्षिप्त परिचय देकर करें।

2-परि-प्रशांत क्षेत्र की मुख्य भू-भौतिकीय विशेषताओं का उल्लेख करें।

3-उचित निष्कर्ष दें।

परि-प्रशांत बेल्ट, जिसे 'द रिंग ऑफ फायर' भी कहा जाता है, सक्रिय ज्वालामुखियों और लगातार आने वाले भूकंपों के कारण निर्मित प्रशांत महासागर के चारों तरफ का क्षेत्र है।

स्थान विस्तार: प्रशांत महासागर के चारों ओर ज्वालामुखियों की एक निरंतर शृंखला है। यह शृंखला उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट से गुज़रती है एवं अल्यूशियन द्वीप से जापान के दक्षिण में, इंडोनेशिया से टोंगा द्वीप और न्यूज़ीलैंड तक फैली हुई है।

बनावट: ज्वालामुखियों की यह परि-प्रशांत शृंखला (जिसे अक्सर रिंग ऑफ फायर कहा जाता है) और इससे जुड़ी पर्वत शृंखलाएँ महाद्वीपों के नीचे महासागरीय लिथोस्फीयर और प्रशांत महासागर के परित: पाए जाने वाले द्वीपों में बार-बार होने वाले घर्षण के फलस्वरूप बनी हैं।

द रिंग ऑफ फायर प्लेट टेक्टोनिक्स (कन्वर्जेंट, डाइवर्जेंट प्लेट बाउंड्री, ट्रांसफॉर्म प्लेट बाउंड्री) का परिणाम है।

सर्वाधिक ज्वालामुखी तथा भूकंप वाला क्षेत्र : पृथ्वी पर लगभग 75% ज्वालामुखी (450 से अधिक ज्वालामुखी) रिंग ऑफ फायर में क्षेत्र में स्थित हैं तथा विश्व में सर्वाधिक भूकंप भी इसी क्षेत्र में आते हैं।

पृथ्वी के 90% भूकंप इन्हीं क्षेत्रों में आते हैं, जिसमें ग्रह की सबसे विनाशकारी भूकंपीय घटनाएँ भी शामिल हैं।

पिछले 11,700 सालों में हुए 25 सर्वाधिक विनाशकारी ज्वालामुखी ‘रिंग ऑफ़ फायर’ (Ring of Fire) के सहारे ही आये हैं, जो स्थलमंडलीय प्लेटों के संचलन और अभिसरण के परिणाम थे|

परि-प्रशांत बेल्ट में स्थित प्रमुख ज्वालामुखी:

1-जापान का माउंट फू जी,

2-अमेरिका का अल्यूशियन द्वीप,

3-इंडोनेशिया में क्राकाटाओ द्वीप ज्वालामुखी आदि।

 

हॉट स्पॉट का गठन: रिंग ऑफ फायर हॉट स्पॉट के लिये उपयुक्त स्थान है, यह पृथ्वी के मेंटल में गहराई में स्थित है, जहाँ से पृथ्वी की परतों में ऊष्मा का निष्कासन होता है।

मेंटल प्लम (Mantle Plume)

1-एक मेंटल प्लम पृथ्वी के मेंटल के भीतर असामान्य रूप से गर्म चट्टान का उत्थान है। ये चट्टानें अत्यधिक तापमान के कारण पिघलकर लावा के स्वरूप में बाहर निकलती हैं।

2-मेंटल प्लम कम गहराई में पहुंँचने पर आंशिक रूप से पिघल सकता है। मेंटल प्लम के कारण ज्वालामुखी का उद्गार होता है।

3- मेंटल प्लम के सतह के क्षेत्रों को हॉटस्पॉट (Hotspots) कहा जाता है।

4-पृथ्वी पर मेंटल प्लम के दो सबसे प्रसिद्ध स्थान- हवाई और आइसलैंड हैं। इसीलिये मेंटल के नमूनों की जाँच के लिये यहाँ की चट्टानों का प्रयोग किया गया।

 

यह ऊष्मा मेंटल के ऊपरी परत में चट्टान के पिघलने में सहायता करती है। मैग्मा के रूप में जाना जाने वाला पिघला हुआ चट्टान दरार के माध्यम से पृथ्वी के ऊपरी परत (क्रस्ट) को धक्का देता है जिसके परिणामस्वरूप ज्वालामुखी का निर्माण होता है।

निष्कर्ष

परि-प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक ज्वालामुखी विस्फोटों और भूकंप की घटनाओं का एक बड़ा प्रतिशत देखा जाता है, अत: यह पृथ्वी के अंदरूनी संरचना के अध्ययन हेतु महत्त्वपूर्ण है।

 

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