सेबी द्वारा किये गए नवीन सुधारों का प्रभाव तथा महत्त्व

सेबी द्वारा किये गए नवीन सुधारों का प्रभाव तथा महत्त्व 

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध
खंड – 9 : सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय। )

 

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन
खंड – 1 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय )

 चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने इस वर्ष की अपनी आखिरी बैठक में कई क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों तथा म्यूचुअल फंड से संबंधित सुधार किये हैं। इन सुधारों का उद्देश्य आम निवेशकों के हितों की सुरक्षा तथा बाज़ार के विनियमन मानकों को उन्नत करना है। 

           भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI)

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से संबंधित सुधार 

1-रेटिंग एजेंसियों की स्थापना के लिये न्यूनतम कुल मूल्य (Net Worth) सीमा को 5 करोड़ से बढाकर 25 करोड़ कर दिया है। इससे नई रेटिंग एजेंसी स्थापित करना थोडा मुश्किल हो जाएगा।

2-प्रमोटर इकाई को रेटिंग एजेंसी में तीन वर्षों की अवधि के लिये कम से कम 25% हिस्सेदारी को बनाए रखना होगा।

3-क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को वित्तीय उत्पादों की रेटिंग और वित्तीय या आर्थिक शोध गतिविधियों के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों को एक पृथक् कानूनी इकाई के तहत गठित करना होगा।

 

 

म्यूचुअल फंड से संबंधित सुधार 

सेबी ने रेटिंग के साथ-साथ म्यूचुअल फंड में हितों के टकराव को दूर करने के मकसद से एक दूसरे में 10 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग की सीमा तय कर दी है। 

इसका मतलब यह है कि यदि किसी कंपनी या व्यक्ति के पास किसी रेटिंग एजेंसी या म्यूचुअल फंड के 10% शेयर हैं तो वह किसी दूसरी रेटिंग कंपनी या म्यूचुअल फंड के 10% से ज़्यादा शेयर नहीं खरीद पाएगा।

 

स्टॉक एक्सचेंज से संबंधित सुधार 

 

1-सेबी ने एक ही प्लेटफार्म से इक्विटी और कमोडिटी ट्रेडिंग की अनुमति दे दी है।

2-बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) अब अपने प्लेटफॉर्म पर कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं, जबकि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव एक्सचेंज (NCDEX) इक्विटी में ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। इस निर्णय को 1 अक्टूबर 2018 से लागू किया जाएगा। 

3-इसके लिये सेबी ने प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) (स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ) विनियम, 2012 में उपयुक्त संशोधन की मंज़ूरी दे दी है।

4-उल्लेखनीय है कि इससे पहले कमोडिटी बाज़ारों का नियमन वायदा बाज़ार आयोग (Forward Market Commission-FMC) करता था, किन्तु अक्टूबर, 2015 में एफएमसी का सेबी में विलय कर लिया गया था। तब से सेबी कमोडिटी वायदा बाज़ारों का भी कार्य देख रहा है।

लाभ

यह निर्णय पूरी तरह से लागू होने पर निवेशकों को विभिन्न बाज़ारों में अधिक सुरक्षित और विनियमित तथा अधिक पारदर्शी व्यापार, क्लीयरिंग और निपटान (Settlement) ढाँचा उपलब्ध कराएगा। 

भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग मुख्यतः धातुओं और तेलों पर केंद्रित है। कृषि कमोडिटी में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि सेबी के इस कदम से इसका समाधान होने की आशा है।

केवाईसी (Know Your Customer-KYC) में लगने वाले समय की बचत होगी।

इससे क्रॉस-लिस्टिंग में भी सहायता मिलेगी। जब कोई भी कंपनी अपने शेयरों को एक से अधिक स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कराती है तो इसे क्रॉस-लिस्टिंग कहते हैं।

 

 

 

क्या है क्रेडिट रेटिंग? 

क्रेडिट रेटिंग किसी भी देश, संस्था या व्यक्ति की ऋण लेने या उसे चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन होती है। गौरतलब है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा एएए, बीबीबी, सीए, सीसीसी, सी, डी के नाम से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था को रेटिंग दी जाती है।

म्यूचुअल फंड क्या है?

म्यूचुअल फंड (पारस्परिक निधि) एक प्रकार का सामुहिक निवेश होता है। निवेशकों के समूह मिलकर अल्प अवधि के निवेश या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।

म्यूचुअल फंड में एक फंड प्रबंधक होता है, जो इस पैसे को विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिये अपने निवेश प्रबंधन कौशल का उपयोग करता है। 

वह फंड के निवेशों को निर्धारित करता है और लाभ और हानि का हिसाब रखता है। इस प्रकार हुए फायदे-नुकसान को निवेशकों में बाँट दिया जाता है।

म्यूचुअल फंड के शेयर की कीमत नेट ऐसेट वैल्यु (NAV) कहलाती है।

यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी भारत की सबसे पुरानी म्यूचुअल फंड कंपनी है।

 

 

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