भारत का मिसाइल कार्यक्रम

 भारत का मिसाइल कार्यक्रम

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा

संदर्भ :  हमारे पड़ोसी देश चीन ने कुछ समय पहले डोंगफेंग-41 नामक मिसाइल का परीक्षण किया, जो 12 हज़ार किमी. तक मार करने में सक्षम है। इससे भारत की चिंतित होना स्वाभाविक है।

पृष्ठभूमि :   भारत भी समय-समय पर अपनी सुरक्षा के मद्देनज़र मिसाइलों का परीक्षण करता रहता है, क्योंकि पड़ोसी देशों चीन तथा पाकिस्तान को लेकर भारत की सुरक्षा चिंताएँ बनी रहती हैं। इन दोनों देशों की सामरिक शक्ति सीधे-सीधे भारत को प्रभावित करती है। इसीलिये हाल ही में 22 नवंबर के दिन भारत ने अत्याधुनिक सुखोई-30 विमान से पहली बार ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। 

                                                                           मिसाइलों का वर्गीकरण

                मुख्य रूप से मिसाइल दो प्रकार की होती हैं--1. क्रूज मिसाइल और 2. बैलेस्टिक मिसाइल। 

 

1. क्रूज मिसाइल

2. बैलेस्टिक मिसाइल

1-क्रूज मिसाइल मानव-रहित, सेल्फ प्रोपेल्ड यानी स्वचालित (प्रभाव के समय तक) गाइडेड व्हीकल है, जो एयरोडायनेमिक लिफ्ट के माध्यम से हवा में उड़ान भरती है। इसका इस्तेमाल कोई आयुध या किसी खास पेलोड को लक्ष्य पर दागने के लिये किया जाता है। यह मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल के दायरे में उड़ान भरती है और इसमें जेट इंजन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है।

2-क्रूज मिसाइल तीन प्रकार की होती हैं:

1-सबसोनिक,

2-सुपरसोनिक और

3-हाइपरसोनिक इसके विभिन्न प्रकार हैं।

1- बैलेस्टिक मिसाइल अपने प्रक्षेप पथ पर आगे बढ़ने वाली मिसाइल है, भले ही वह हथियार के तौर पर मारक क्षमता से युक्त हो या नहीं। इसे इनकी रेंज और धरती की सतह के जिस हिस्से से लॉन्च किया जाता है, वहां से उसके लक्ष्य तक की अधिकतम दूरी तक पेलोड को ले जाने के आधार पर कई श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। 

2-मारक क्षमता के आधार पर मिसाइलों का वर्गीकरण:

1-शॉर्ट रेंज मिसाइल

2-मीडियम रेंज मिसाइल

3-इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल

4-इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल

 

भारत की प्रमुख मिसाइलें 

                                                                               पृथ्वी मिसाइल:

पृथ्वी-1

मारक क्षमता 150 km

थल सेना

पृथ्वी-2

मारक क्षमता 250 km

वायु सेना

पृथ्वी-3

मारक क्षमता 350 km

नौसेना

                                                                            अग्नि मिसाइल:

अग्नि-1

700 km

परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम

अग्नि-2

3000 km

परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम

अग्नि-3

3000 km-4000 km

परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम

अग्नि-4

4000 km

परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम

अग्नि-5

5500km-8000 km

1- पहली अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल

2-परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम

3- लॉन्चिंग की कैनिस्टर तकनीक का उपयोग

आवश्यकता पड़ने पर अग्नि-5 की मारक क्षमता को 10 हजार किमी. तक बढ़ाया जा सकता है।अमेरिका, रूस, फ्राँस, चीन, यू.के., इज़राइल के बाद भारत विश्व का सातवाँ ऐसा देश है, जिसके पास अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है।

इनके अलावा धनुष, शौर्य, सागरिका, मोक्षित, नाग, निर्भय, आकाश, त्रिशूल, प्रहार, सूर्य  आदि मिसाइलें भी भारत के पास हैं।

बराक-8 मिसाइल: सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल बराक-8 भारत द्वारा इज़राइल के सहयोग से बनाई गई है, जिसकी मारक क्षमता 70 से 90 किमी.

अग्नि-6

भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) लंबी दूरी तक मार करने और परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि-6 मिसाइल का विकास कर रहा है। यह मिसाइल एक साथ कई ठिकानों को नष्ट करने तथा एक साथ कई आयुध ले जा सकने में सक्षम होगी। 

ब्रह्मोस मिसाइल के तीनों संस्करण हैं भारत के पास

भारत ने सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस का हाल ही में सुखोई-30 युद्धक विमान से परीक्षण कर इसके तीनों संस्करणों (थल, जल और वायु) के सफल परीक्षण की उपलब्धि हासिल की है। अब भारतीय वायुसेना शत्रु के ठिकानों को लगभग 400 किलोमीटर दूर से ही निशाना बना सकती है। 

क्या है ब्रह्मोस?: ब्रह्मोस भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है जिसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा को मिलाकर रखा गया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था। यह मिसाइल सबसे पहले 2005 में भारतीय नौसेना को मिली थी और सभी डेस्ट्रॉयर और फ्रिगेट युद्धपोतों में ब्रह्मोस मिसाइल लगी हुई है।

                                   ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस -1

गति 2.8 मैक

ब्रह्मोस-2

हाइपरसोनिक मिसाइल,

स्पीड लगभग 5 से 7 मैक

ब्रह्मोस ब्लॉक-3

यह पर्वतीय भू-भाग में ऊपर की ओर चढ़ने में सक्षम है और गोता लगाते हुए पहाड़ियों के बीच में स्थित अगम्य निशाने को भेद सकती है।

 

ब्रह्मोस NG

भारत और रूस नई जेनरेशन की ब्रह्मोस मिसाइल बनाने पर भी सहमत हुए हैं, जिसकी मारक क्षमता 600 किलोमीटर से अधिक होगी। भारत को मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम(MTCR) की सदस्यता मिलने के बाद रूस इस ब्रह्मोस मिसाइल का अपडेटेड वर्जन बनाने के लिये तैयार हुआ है। 

ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषताएँ

1-इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है, परंतु इसे युद्धक विमान से दागे जाने पर यह लगभग 400 किलोमीटर हो जाती है। इसे भविष्य में 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।यह 300 किलोग्राम भार तक युद्धक सामग्री ले जा सकती है। 

2-यह एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है। इसकी गति 2.8 मैक है, जो विश्व में किसी भी मिसाइल से ज़्यादा है। इसकी मारक क्षमता ध्वनि की गति से भी तीन गुना अधिक है।

3-यह परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है और इसे पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट, हवा और ज़मीन से दागा जा सकता है।

4-यह मिसाइल पहाड़ों की छाया में छिपे दुश्मनों के ठिकाने को भी निशाना बना सकती है। 

आम मिसाइलों के विपरीत यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीकी से ऊर्जा प्राप्त करती है। 

ब्रह्मोस ऐसी मिसाइल है जो दागे जाने के बाद भी रास्ता बदल सकने में सक्षम है। 

लक्ष्य तक पहुँचने के दौरान यदि टारगेट मार्ग बदल ले तो मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है। इसलिये इसे ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire & Forget) भी कहा जाता है। 

यह मिसाइल कम ऊँचाई पर उड़ान भरती है इसलिये रडार की पकड़ से बाहर है। इसको मार गिराना लगभग असंभव है। 

मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम :  भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम का हिस्सा बन चुका है, जिसके कारण मिसाइलों की रेंज पर आरोपित सीमा अब समाप्त हो चुकी है। अतः भारत ब्रह्मोस के 450 किलोमीटर मारक क्षमता वाले संस्करण का परीक्षण करने पर भी विचार कर रहा है। MTCR के दिशा-निर्देशों में यह उल्लेख है कि इसमें शामिल देश किसी ऐसे देश के साथ मिलकर 300 किलोमीटर की मारक क्षमता से अधिक की मिसाइल नहीं बना सकते जो इसमें में शामिल नहीं हैं।

भारत की मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली

भारत ने किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल हमले को बीच में ही असफल करने में सक्षम  इंटरसेप्टर मिसाइल के कई परीक्षण सफलतापूर्वक किये हैं। मल्टी लेयर बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित करने के अपने प्रयासों के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन  द्वारा निर्मित इस मिसाइल को एडवांस्ड एयर डिफेंस मिसाइल (एडीडी) के नाम से जाना जाता है। फिलहाल यह मिसाइल 2000 किलोमीटर  तक हवा में मार कर सकती है। स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इंटरसेप्टर मिसाइल द्वारा दुश्मन देश की मिसाइल को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता हासिल करने से देश के प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूती मिली है।

रूस निर्मित एस-400 ट्रायंफ : भारत और रूस ने रक्षा क्षेत्र में जो समझौते किये हैं, उनमें से एक महत्त्वपूर्ण समझौता एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम का भी है। यह डिफेंस सिस्टम एक साथ 36 मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। विदित हो कि चीन ने रूस से ही यह डिफेंस सिस्टम खरीदा है और चीनी सेना इसका प्रयोग कर रही है। ऐसे में एस-400 ट्रायंफ से भारत अब इस मामले में चीन के समकक्ष गया है। एस-400 डिफेंस सिस्टम किसी भी तरह के विमान, ड्रोन, बैलस्टिक व क्रूज मिसाइल और जमीनी ठिकानों को 400 किमी. की दूरी तक ध्वस्त कर सकता है और साथ ही 30 किमी. तक की ऊँचाई तक मार करने में भी पूर्णत: सक्षम है। यह मिसाइल से लेकर ड्रोन तक कोई भी हवाई हमला आसानी से नाकाम कर सकता है।

इज़राइल का आयरन डोम :  इज़राइल का यह एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम फिलिस्तीनी गुट हमास के हमलों को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब भारत का मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी इज़राइल की मदद से ही तैयार किया जा रहा है।  इस सिस्टम में लगे इज़रायली सहायता से विकसित किये गए लंबी दूरी के स्वोर्डफिश रडार 800 किलोमीटर दूर से आ रही मिसाइल को खोजने में सक्षम हैं।

 

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