भारतीय इतिहास एवं कला और संस्कृति:क्विज 2
[1] बौद्ध साहित्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा सही है?
1. |
त्रिपिटकों की रचना गौतम बुद्ध की निर्वाण प्राप्ति के पश्चात् हुई। |
2. |
सुत्तपिटक में बुद्ध के धार्मिक विचारों तथा वचनों को संगृहीत किया गया है। |
3. |
विनयपिटक में बौद्ध संघ के नियमों का उल्लेख है। |
4. |
अभिधम्मपिटक में बौद्ध दर्शन का विवेचन है। |
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
A) |
केवल 1 |
B) |
केवल 2 |
C) |
केवल 1 और 2 |
D) |
1, 2, 3, और 4 |
उत्तरः (d)
व्याख्याः
1-जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक के सुत्तपिटक के अंतर्गत खुद्दकनिकाय का 10वाँ भाग है। इन कथाओं में महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं।
2-सबसे प्राचीन बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक हैं। अभिधम्मपिटक में बौद्ध दर्शन का विवेचन है।
3-त्रिपिटक में ईसा से पूर्व की शताब्दियों में भारत के सामाजिक तथा धार्मिक जीवन पर भी पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।
[2] मौर्यकालीन किस/किन अभिलेख/अभिलेखों में शासक/शासकों द्वारा कलिंग युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक ने स्वयं को पश्चाताप की अग्नि में जलता हुआ महसूस किया था ?
1. सोहगौरा एवम पिपरहवा
2. महास्थान एवम जौगढ़
3. पिपरहवा एवम धौली
4. जौगढ़ एवम धौली
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये।
A) |
केवल 1 |
B) |
केवल 2 |
C) |
केवल 3 |
D) |
केवल 4 |
उत्तरः (D)
व्याख्याः
मौर्य सम्राट अशोक के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके अभिलेखों से मिलती है। यह माना जाता है कि, अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा ईरान के शासक 'डेरियस' से मिली थी। अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये ब्राह्मी, खरोष्ठी और आर्मेइक-ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं। सम्राट अशोक के ब्राह्मी लिपि में लिखित सन्देश को सर्वप्रथम एलेग्जेंडर कनिंघम के सहकर्मी जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था। अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- शिलालेख
- स्तम्भलेख
- गुहालेख
मौर्यकालीन अभिलेख |
स्थान |
कथन |
जौगड़ |
'गंजाम ज़िला'(उड़ीसा ) |
1- जौगड़ और धौली वही जगह है, जहाँ कलिंग युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक ने स्वयं को पश्चाताप की अग्नि में जलता हुआ महसूस किया था।
|
महास्थान अथवा पुंड्रनगर
|
बोगरा ज़िला(बांग्लादेश) |
1-महास्थानः यह दीनाजपुर (बांग्लादेश) से प्राप्त चन्द्रगुप्तमौर्यकालीन अभिलेख है। 2-अभिलेखों में अकाल से निपटने के राजकीय प्रयासों का वर्णन मिलता है। 3-लिपि ब्राह्मी तथा भाषा प्राकृत है।
|
सोहगौरा |
गोरखपुर ज़िला (उत्तर प्रदेश ) |
1-सोहगौराः यह गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त चन्द्रगुप्तमौर्यकालीन अभिलेख है। 2-अभिलेखों में अकाल से निपटने के राजकीय प्रयासों का वर्णन मिलता है। 3-लिपि ब्राह्मी तथा भाषा प्राकृत है।
|
पिपरावा |
बस्ती ज़िला (उत्तर प्रदेश ) |
1-यहाँ बर्डपुर रियासत के ज़मींदार पीपी साहब को 1898 ई. में एक स्तूप के भीतर से बुद्ध की अस्थि-भस्म का एक प्रस्तर-कलश प्राप्त हुआ था |
[3] निम्नलिखित में से जूनागढ़ अभिलेख के सम्बन्ध में क्या सत्य हैं ?
1- संस्कृत भाषा का प्रथम अभिलेख रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख (150 ई.) है
2- इसकी लिपि ब्राह्मी है।
3- इस अभिलेख में चन्द्रगुप्त तथा अशोक दोनों का वर्णन किया गया है।
4- रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से सुदर्शन झील का पुनरोद्धार सुविशाख द्वारा स्वयं के कोष से कराने तथा यज्ञश्री सातकर्णी के पुत्र पुलमावी से अपनी पुत्री का विवाह करने का उल्लेख मिलता है।
A) |
केवल 1 |
B) |
केवल 1 और 2 |
C) |
केवल 2 और 3 |
D) |
उपरोक्त सभी |
उत्तरः (D)
व्याख्याः
1-पश्चिमी भारत का अन्तिम शक नरेश रुद्रसिंह तृतीय(रुद्रदामन) था।
2-चौथी शताब्दी ई. के अन्त में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने इस वंश के अन्तिम रुद्र सिंह तृतीय की हत्या कर शकों के क्षेत्रों को गुप्त साम्राज्य में मिला लिया।
[4] वेदांगों के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1. शिक्षा |
वैदिक मंत्रों के शुद्ध उच्चारण तथा शुद्ध स्वर क्रिया की विधियों के ज्ञान के निमित्त इसकी रचना हुई। |
2. कल्प |
वैदिक यज्ञों की व्यवस्था तथा गृहस्थ आश्रम के लिये उपयोगी कर्मों के प्रतिपादन के निमित्त इसकी रचना हुई। |
3. व्याकरण |
शब्दों की मीमांसा करने वाले शास्त्र को व्याकरण कहा गया। इसका संबंध भाषा संबंधी समस्त नियमों से है। |
4. निरुक्त |
निरुक्त में वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति के बारे में बताया गया है |
5. छंद |
वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंदकहते हैं। |
6. ज्योतिष |
ज्योतिष में ग्रहों तथा नक्षत्रों की स्थिति के अध्ययन के महत्त्व को दर्शाया गया है। |
उपर्युक्त युग्मों में कौन–सा/से सही सुमेलित है/हैं?
A) |
केवल 1,2 और 3 |
B) |
केवल 2,3 और 4 |
C) |
1, 3 और 4 |
D) |
उपरोक्त सभी |
उत्तरः (D)
व्याख्याः
1-वेदों के अर्थ को सरलता से समझने के लिये तथा वैदिक कर्मकांडों को प्रतिपादित करने में सहयोग देने के लिये वेदांगों की रचना की गई।
2-वेदांगो की संख्या छ: हैं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद और ज्योतिष।
3- प्रचीन काल के ग्रंथों में संस्कृत में कई प्रकार के छन्द मिलते हैं जो वैदिक काल के जितने प्राचीन हैं। वेद के सूक्त भी छन्दबद्ध हैं। पिङ्गल द्वारा रचित छन्दशास्त्र इस विषय का मूल ग्रन्थ है। छन्द की सबसे पहले चर्चा ऋग्वेद में हुई है। यदि गद्य की कसौटी ‘व्याकरण’ है तो कविता की कसौटी ‘छन्दशास्त्र’ है। पद्यरचना का समुचित ज्ञान छन्दशास्त्र की जानकारी के बिना नहीं होता। काव्य ओर छन्द के प्रारम्भ में ‘अगण’ अर्थात ‘अशुभ गण’ नहीं आना चाहिए।
[5] बोगाजकोई/मितन्नी अभिलेख(1400 ई. पू.) में किन देवताओं का वर्णन मिलता है?
A) |
इन्द्र, नासत्य, अग्नि,विष्णु |
B) |
मित्र, वरुण, रुद्र,शनि |
C) |
इन्द्र, मित्र, वरुण, नासत्य |
D) |
इन्द्र, नासत्य, वरुण, शिव |
उत्तरः (C)
व्याख्याः
1-एशिया माइनर आज के तुर्की, विशेषकर इसके मध्य भाग को कहा जाता है। यह इलाका 'आनातोलिया' नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में ऊँचे पहाड़ आदि मिलते हैं। यह तुर्की का एक प्रमुख पठारी क्षेत्र है, जिसकी ऊँचाई पश्चिम में 2000 फुट और पूर्व में लगभग 4000 फुट तक है।तुर्की का यह भाग टॉरस और पॉण्टस पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है।
2-बोगाजकोई अभिलेख (मितन्नी अभिलेख) 1400 ई.पू.-एक लेख में हिती राजा शुब्बिलिम्मा और मित्तान्नी राजा मतिऊअजा के मध्य हुई संधि के साक्षी के रूप में वैदिक देवताओं इन्द्र, मित्र, वरूण और नासत्य को उद्धृत किया गया है। यहाँ अश्विन को नासत्य कहा गया है।