भारतीय इतिहास एवं कला और संस्कृति:क्विज 3

भारतीय इतिहास एवं कला और संस्कृति:क्विज 3

[1] अभिलेखों की भाषा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

1. आरंम्भिक अभिलेख प्राकृत भाषा में मिलते हैं और ये ई.पू. तीसरी सदी के हैं।

2. अभिलेखों में संस्कृत भाषा दूसरी सदी से मिलने लगती है।

3. कालान्तर में प्राकृत भाषा का प्रयोग अभिलेखों में पूर्णतः समाप्त नहीं हुआ ।

4.सम्राट अशोकके कई शिलालेखों मेंअरामाईक लिपि (भाषा नहीं बल्कि केवल लिपि) का प्रयोग हुआ है।


उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

A)

केवल 1

B)

केवल 1 और 2

C)

केवल 2 और 3

D)

उपरोक्त सभी

उत्तरः (D)
व्याख्याः
कथन 1 और 2 सही हैं क्योंकि दूसरी सदी के अभिलेखों में संस्कृत भाषा का व्यापक प्रयोग होने के बावजूद प्राकृत भाषा का प्रयोग समाप्त नहीं हुआ। बल्कि बाद के कालों में भी इसका प्रयोग समान रूप से होता रहा।

लिपि

तथ्य

ब्राह्मी

1-एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। देवनागरी सहित अन्य दक्षिण एशियाई, दक्षिण-पूर्व एशियाई, तिब्बती तथा कुछ लोगों के अनुसार कोरियाई लिपि का विकास भी इसी से हुआ था।

2-अभी तक माना जाता था कि ब्राह्मी लिपि का विकास चौथी से तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्यों ने किया था, पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के ताजा उत्खनन से पता चला है कि तमिलनाडु और श्रीलंका में यह 6ठी सदी ईसा पूर्व से ही विद्यमान थी।

खरोष्ठी

1-सिंधु घाटी की चित्रलिपि को छोड़ कर, खरोष्ठी भारत की दो प्राचीनतम लिपियों में से एक है। यह दाएँ से बाएँ को लिखी जाती थी। 

2-सम्राट अशोक ने शाहबाजगढ़ी और मनसेहरा के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में ही लिखवाए हैं। इसके प्रचलन की देश और कालपरक सीमाएँ ब्राह्मी की अपेक्षा संकुचित रहीं और बिना किसी प्रतिनिधि लिपि को जन्म दिए ही देश से इसका लोप भी हो गया।

आरमेइक

सम्राट अशोक के कई शिलालेखों में अरामाईक लिपि (भाषा नहीं बल्कि केवल लिपि) का प्रयोग हुआ है।

 

दूसरी ओर सम्राट अशोक के कई शिलालेखों में अरामाईक लिपि (भाषा नहीं बल्कि केवल लिपि) का प्रयोग हुआ है।

अतः कथन (3) और (4) भी सत्य हैं

 

 

[2] सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

सूची-I
(वेद)

सूची-II
(ब्राह्मण ग्रंथ)

A. ऋग्वेद

1. ऐतरेय, कौषीतकि

B. यजुर्वेद

2. शतपथ, तैत्तरीय

C. सामवेद

3. पंचविंश (ताण्ड्य)

D. अथर्ववेद

4.गोपथ

कूटः

A B C D

A)

1 4 3 2

B)

2 1 4 3

C)

1 2 4 3

D)

1 2 3 4

उत्तरः (D)
व्याख्याः

वेद

ब्राह्मणग्रन्थ(हर वेद की अपनी अलग अलग शाखा है)

ऋग्वेद

·         ऐतरेयब्राह्मण-(शैशिरीयशाकलशाखा)

·         कौषीतकि-(या शांखायन) ब्राह्मण (बाष्कल शाखा)

 

सामवेद

·         प्रौढ(या पंचविंश) ब्राह्मण

·         षडविंश ब्राह्मण

·         आर्षेय ब्राह्मण

·         मन्त्र (या छान्दिग्य) ब्राह्मण

·         जैमिनीय (या तावलकर) ब्राह्मण

 

यजुर्वेद

1-शुक्ल यजुर्वेद :

·         शतपथब्राह्मण-(माध्यन्दिनीय वाजसनेयि शाखा)

·         शतपथब्राह्मण-(काण्व वाजसनेयि शाखा)

2-कृष्णयजुर्वेद :

·         तैत्तिरीयब्राह्मण

·         मैत्रायणीब्राह्मण

·         कठब्राह्मण

·         कपिष्ठलब्राह्मण

 

अथर्ववेद

·         गोपथब्राह्मण (पिप्पलाद शाखा)

 

 

टिप्पणी:

1-उपर्युक्त वेदों में से ऋग्वेद का पुरोहित ‘होता’, यजुर्वेद का ‘अध्वर्यु’, सामवेद का ‘उद्गाता’ तथा अथर्ववेद का पुरोहित ‘ब्रह्मा’ कहलाता है।

2-वैदिक साहित्य में वेद के अतिरिक्त, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् शामिल हैं। इनके उच्चारण के लिये भी विशेष पुरोहित का वर्णन मिलता है।

 

[3] अशोक के अभिलेखों के विषय में निम्नलिखित कथन/कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?

1. सर्वप्रथम 1750 में टीपैंथलर ने अशोक की लिपि का पता लगाया।

2. 1837 में सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि को पढ़ा।

3. मास्की अभिलेख से अशोक की पहचान ‘पियदस्सी’ नाम से हुई।

4. निट्टूर, उडेगोलम, गुर्जरा के अभिलेखों में भी अशोक के नाम का उल्लेख है।

5.तिस्स राजा के समय में ही अशोक का पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा बौद्ध धर्म का प्रचार करे के लिएश्रीलंकापहुंचे थे।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये।

A)

केवल 1

B)

केवल 1 और 2

C)

केवल 2, 3 और 4

D)

1, 2, 3 ,4 और 5

उत्तरः (d)
व्याख्याः

  • अशोक के केवल दो धर्मलेखो यानी गुजर्रामध्य प्रदेश में दतिया के पास, तथा मस्की, जि0 रायचूर, कर्नाटक के लघु-शिलालेखों में ही हमें उसका “ अशोक “ नाम देखने में आता है। शेष सभी धर्मलेखों में उसे “देवानं पियेन पियदसिन लाजिन” कहा गया है।
  • अशोक का समकालीनश्रीलंका का तिस्स या तिष्य राजा भी अपने नाम के साथ 'देवनांप्रिय' जोड़ता था। तिस्स राजा के समय में ही अशोक का पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा बौद्ध धर्म का प्रचार करे के लिए श्रीलंका पहुंचे थे।
  • टीपैंथलर ने सर्वप्रथम अशोक की लिपि (ब्राह्मी) का पता लगाया जबकि इसे पढ़ने वाले प्रथम अंग्रेज जेम्स प्रिंसेप थे।

 

 

[4] दिए गए अभिलेख/स्तम्भ लेख/शिलालेख का कोनसा कूट गलत हैं ?

A)

जौगढ़ शिलालेख - उड़ीसा

B)

लौरिया अरेराज - बिहार (चम्पारण)

C)

जटिंग रामेश्वर - कर्नाटक

D)

निगाली सागर -बिहार

उत्तरः (D)
व्याख्याः

निगाली सागर अथवा निग्लीवा अभिलेख लुम्बिनी के रूपनदेही ज़िले(नेपाल) में स्थित है जो कि अशोक के साम्राज्य की पूर्वतम सीमा का निर्धारक भी माना जाता है।

 

[5] निम्नलिखित में से कौन-सी लिपियाँ अशोक के अभिलेखों में प्रयुक्त हुई?

A)

ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक, देवनागरी

B)

खरोष्ठी, ग्रीक, शारदा, ब्राह्मी

C)

देवनागरी, अरमेइक, ब्राह्मी, खरोष्ठी

D)

ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरमेइक

उत्तरः (D)
व्याख्याः

1-अशोक के अभिलेख राज्यादेश के रूप में जारी किये गए हैं। अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा तथा ब्राह्मी लिपि में हैं जबकि अफगानिस्तान से प्राप्त अभिलेख (शरेकुन) अरमेइक तथा यूनानी (ग्रीक) दोनों में हैं।

2-सम्राट अशोक ने शाहबाजगढ़ी और मानसेहरा के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में लिखवाए हैं।

 

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