प्रश्न. रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जिस पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म हो रहा है; इस समस्या पर प्रकाश डालिए ?

प्रश्न. रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जिस पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म हो रहा है; इस समस्या पर प्रकाश डालिए ?

उत्तर.

रोहिंग्या कौन हैं?

म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है. म्यांमार में एक अनुमान के मुताबिक़ 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं. इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं. सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है. हालांकि ये म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं. रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है. इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.

 रोहिंग्या परंपरागत रूप से म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाला अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय है, जिसमें से बड़ी संख्या ने म्यांमार की खराब आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों के कारण बांग्लादेश, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, भारत आदि देशों में पलायन किया।

क्या म्यांमार सरकार इसके लिए दोषी है?

म्यांमार में 25 वर्ष बाद पिछले साल चुनाव हुआ था. इस चुनाव में नोबेल विजेता आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली थी. हालांकि संवैधानिक नियमों के कारण वह चुनाव जीतने के बाद भी राष्ट्रपति नहीं बन पाई थीं. सू ची स्टेट काउंसलर की भूमिका में हैं. हालांकि कहा जाता है कि वास्तविक कमान सू ची के हाथों में ही है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सू ची निशाने पर हैं. आरोप है कि मानवाधिकारों की चैंपियन होने के बावजूद वे खामोश हैं. 

क्या कर रही हैं आंग सान सू ची?

आंग सान सू ची अभी अपने मुल्क की वास्तविक नेता हैं. हालांकि देश की सुरक्षा आर्म्ड फोर्सेज के हाथों में है. यदि सू ची अंतराष्ट्रीय दवाब में झुकती हैं और रखाइन स्टेट को लेकर कोई विश्वसनीय जांच कराती हैं तो उन्हें आर्मी से टकराव का जोखिम उठाना पड़ सकता है. उनकी सरकार ख़तरे में आ सकती है.

रोहिंग्या संकट से निपटने के लिये किए जा रहे अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासः

1-म्यांमार ने रखाइन प्रांत में नृजातीय संघर्ष की समस्या को हल करने के लिये विकल्पों पर चर्चा करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के नेतृत्व में एक आयोग की स्थापना की गई।

2-संयुक्त राष्ट्र, ह्यूमन राइट वॉच तथा अराकान प्रोजेक्ट जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस संकट का समाधान करने लिये म्यांमार सरकार पर दबाव डाला है।

3-संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अनेक वैश्विक शक्तियों, भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया जैसे म्यांमार के पड़ोसी देशों ने भी म्यांमार पर इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया है क्योंकि ऐसे समय में जब यूरोप में शरणार्थी संकट फैल रहा है, दक्षिण एवं दक्षिण पूर्वी एशिया भी रोहिंग्या से जुड़े इसी तरह के संकट से ग्रस्त हो सकता है।

रोहिंग्या संकट अत्यंत त्रासदीपूर्ण है जिसके समाधान के लिये म्यांमार सरकार को मानवीय पहलुओं का ध्यान रखते हुए राजनीतिक प्रयास करने चाहिये। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक यथार्थवादी, व्यावहारिक समाधान के लिये योजना बनानी चाहिए।

 

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