Ghosundi Inscription of Sarvatata second century BC GS paper-1
1-The earliest epigraphic evidence regarding the worship of Lord Narayana is found from the Ghosundi Stone Inscription of Maharaja Sarvatata of 1st Century B.C.Ghosundi is a village in the chittorgarh district of rajasthan.
2-The inscription record the erection of enclosing wall around the stone object of worship called Narayana Vatika for the divinities Sankarshana and Vasudeva by one Sarvatta who was a devotee of Bhagavat and had performed an Asvamedha Sacrifice.
The rulers of Kanva Dynasty ruled for 45 years i.e., 73 to 28 B.C.
Not much is known about these rulers except that they were all Brahmans like those of their predecessors, the Sungas. The Magadha Empire saw a further fall under them. In about 28 B.C. Susarman, the last ruler of Kanva dynasty was killed by the Andhra King Simuka. Thus after a short reign of about 45 years the Kanva dynasty disappeared from the political field of India and with them vanished the name and fame of the Magadhan Empire.
घोसुन्डी का लेख द्वितीय शताब्दी ई.पू.
1-यह लेख कई शिला खण्डों में टूटा हुआ है. इनमें से एक बड़ा खण्ड उदयपुर संग्रहालय में सुरक्षित है. प्रारम्भ में ये लेख घोसुन्डी से, नगरी के निकट, जो चित्तोड से सात मील दूर है, प्राप्त हुआ था. लेख की भाषा संस्कत और लिपि ब्राह्मी है. प्रस्तुत लेख मेंसंकर्षण और वासुदेव के पूजाग्रह के चारों ओर पत्थर की चारदिवारी बनाने और गजवंश के सर्वतात द्वारा अश्वमेघ यज्ञ करने का उल्लेख है. ये सर्वतात पराशरी का पुत्र था यह भी इसमें अंकित है.
2-श्री जोगेन्द्रनाथ घोष के विचार से इस लेख में वर्णित नाम कण्ववंशीय ब्राह्मण मालूम होता है, जिसमें गाजायन गोत्र का सूचक और सर्वतात व्यक्ति का. जोह्नसन के विचार से यक लेख किसी ग्रीक, शुंग या आन्ध्रवंशीय का होना चाहिय. आन्ध्रो में ’गाजायन’ ’सर्वतात’ आदि नाम उस वंश के शासकों में पाये जाते हैं. जिससे यहां के शासक का आन्ध्रवंशीय होना अनुमानित होता है. इन शिलाखण्डों की पंक्तियां साथ के बाक्स में है.