पूर्वोत्तर के दो राज्यों—अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के बीच असहमति का कारण बनी म्याँमार के साथ भारत की 1643 किमी. लंबी खुली सीमा:

पूर्वोत्तर के दो राज्यों—अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के बीच असहमति का कारण  बनी म्याँमार के साथ भारत की 1643 किमी. लंबी खुली सीमा:

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन
(खंड- 17: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका)

संदर्भ

हाल ही में देश के पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी समस्या रहे उग्रवादी नेता एस.एस. (खोले खेतोवी) खापलांग की म्याँमार में मृत्यु हो गई; और अभी कुछ दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह म्याँमार से सीमा रखने वाले पूर्वोत्तर के चार राज्यों की बैठक में शामिल होने आइज़ल गए थे| म्याँमार के साथ भारत की 1643 किमी. लंबी खुली सीमा लगती है और यह पूर्वोत्तर के दो राज्यों—अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के बीच असहमति का कारण बन गई है|

क्या है विवाद?

         अरुणाचल प्रदेश:

              मिज़ोरम:

1-अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ऐसा मानते हैं कि म्याँमार के साथ खुली सीमा उनके राज्य के लिये एक बड़ी समस्या है क्योंकि दूसरी तरफ से आतंकवादियों का निर्बाध आवागमन होता रहता है|

2-तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जैसे राज्य के सीमावर्ती ज़िलों में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के विभिन्न गुटों का प्रभाव है|

3-उपरोक्त तीनों ज़िलों में 1991 से अफस्पा लागू है और हाल ही में इसे तीन महीने के लिये बढ़ाया गया है|

4-चूँकि राज्य में कोई घरेलू-उग्रवाद जैसी कोई चीज़ नहीं है, इसलिये वह बहार से आने वाले उग्रवाद से परेशान है, जो असम और नागालैंड के भूमिगत गुटों की गतिविधियों और म्याँमार के साथ लगी सीमा के पार से आता है|

5-ये उग्रवादी गुट व्यवसायियों, सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं से धन की उगाही करते हैं तथा हत्या, फिरौती के लिये अपहरण, लूट, जबरन भर्ती जैसे अपराधों में शामिल रहते हैं। इसका सर्वाधिक शिकार स्थानीय लोग होते हैं, इसलिये वे भयभीत होकर या थोड़े से पैसों के लालच में उन्हें हर प्रकार की सहायता पहुँचाते हैं|

1-मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालथनहावला यह चाहते हैं कि भारत-म्याँमार सीमा को खुला रखा जाए, बल्कि यह भी चाहते हैं कि केंद्र सीमा के दोनों तरफ वीज़ा मुक्त आवागमन की सीमा को 16 किमी. से बढ़ाकर 60 किमी. कर दे|

2-वह इसके पीछे दोनों के बीच निकट नस्लीय संबंधों का हवाला देते हुए इस 16 किमी. के दायरे में एक-दूसरे के क्षेत्र में ठहरने की अवधि को तीन दिन से बढ़ाकर 60 दिन करने के भी पक्षधर हैं|

3-मिज़ोरम सरकार अपने राज्य से लगती 510 किमी. लंबी इस अंतर्राष्ट्रीय सीमा (Chin Hills) पर बाड़बंदी के पक्ष में नहीं है|

4-मिज़ोरम सरकार कई प्राकृतिक कारणों के मद्देनज़र अपने राज्य की बांग्लादेश से लगती सीमा पर भी बाड़बंदी के पक्ष में नहीं है|

5-मिज़ोरम मुक्त आवागमन व्यवस्था के कार्यान्वयन के लिये दिशानिर्देश तैयार कर रहा है और प्रवेश शुल्क वसूलने के लिये उसने सीमा पर चार क्रॉसिंग पॉइंट बनाए हैं|

 

नगा विद्रोहियों का नेतृत्वविहीन होना:

भारत सरकार के लिए नॉर्थ ईस्ट में सबसे बड़ी मुसीबत रहे एस एस खापलांग यानि खोले खेतोवी खापलांग की मौत हो गई है। उसकी मौत डायविटीज की वजह से हुई। खापलांग नॉर्थ-ईस्ट में हमारे देश का सबसे बड़ा दुश्मन था। वो छापामार लड़ाई द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से और म्यांमार के हिस्से को मिलाकर अलग देश 'नगालिम' की हसरत पाले बैठा था। खापलांग की मौत के बाद नगा विद्रोहियों के नेतृत्वविहीन होने की उम्मीद जताई जा रही है।

                                                          एस एस खापलांग( खोले खेतोवी खापलांग)

1-खोले खेतोवी खापलांग की मौत म्यांमार में हुई, जहां रहकर वो भारत के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेड़े हुए था।

2-उसके संगठन का नाम एनएससीएन-के यानि नेशनल सोशलिस्ट कॉउंसिल ऑफ नागालैंड/नगालिम है।

3-इस संगठन का एकमात्र उद्देश्य है स्वतंत्र नगा राष्ट्र।

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