बिटकॉइन मुद्रा Bitcoin Currency का संपूर्ण परिचय

बिटकॉइन मुद्रा Bitcoin Currency का संपूर्ण परिचय 

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र –3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबन्धन

पृष्ठभूमि

 

(बिटकॉइन के संस्थापक सोतशी नाकामोतो)

कुछ समय पहले चर्चा में आई बिटकॉइन मुद्रा (Bitcoin Currency), वस्तुतः क्रिप्टोग्राफी प्रोग्राम (cryptography program) पर आधारित एक ऑनलाइन मुद्रा है| इस मुद्रा के प्रसार में पिछले चार महीनों में बहुत तेज़ी से उछाल नज़र आया है| वर्तमान में इसकी कीमत (1018.82 डॉलर प्रति यूनिट) पिछले 3 सालों के सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गई है| 

भारतीय बिटकॉइन एक्सचेंज (Indian Bitcoin Exchange) में भी इसकी कीमत अब तक के सबसे ऊँचे स्तर 72,000 रुपए प्रति यूनिट पर पहुँच गई है| इसकी प्रीमियम लागत 4-5 प्रतिशत है | ध्यातव्य है कि बिटकॉइन की प्रीमियम लागत का निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय बिटकॉइन मूल्य (International bitcoin price) तथा रुपए-डॉलर विनिमय दर (Rupee-Dollar exchange rate) पर निर्भर करता है|

मुद्रा-मूल्य में वृद्धि का कारण

 

स्वर्ण (gold) की भाँति बिटकॉइन को भी डॉलर के जोखिमों (Doller risks) से बचाव के लिये एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा रह है|

ध्यातव्य है कि पिछले कुछ समय से भारत तथा चीन ने अपनी स्वर्ण की मांग में भारी कमी की है| चीन ने स्वर्ण के आयात एवं व्यापार को सख्त करने के उद्देश्य से अनौपचारिक नियंत्रण (informal control) स्थापित किया है|

यदि भारत की बात करें तो यहाँ विमुद्रीकरण की प्रक्रिया ने स्थिति को और भी अधिक निराशाजनक बना दिया है|

ध्यातव्य है कि डॉलर की तुलना में चीन की मुद्रा के मूल्य में कमी आने के कारण वहाँ की  सरकार ने सुरक्षित मुद्रा के रूप में स्वर्ण के विकल्प के रूप में बिटकॉइन का चुनाव किया है|

वस्तुतः बिटकॉइन है तो एक मुद्रा, परन्तु इसे स्वीकृत ‘उद्यम की वस्तु’ (commodity) के रूप में ही किया जाता है|

शुरुआती दौर में बिटकॉइन के विषय में संदेह का माहौल व्याप्त था, परन्तु जैसे-जैसे ई-कॉमर्स के कार्य क्षेत्र में प्रसार होता जा रहा है, बिटकॉइन के प्रसार में भी उछाल आता जा रहा है|

भारत में बिटकॉइन की खरीद की प्रक्रिया

वर्तमान में चार बिटकॉइन एक्सचेंज प्रभाव में है- ज़ेबपे (zebpay), यूनोकॉइन (unocoin), BTCX इंडिया तथा कॉइनसिक्योर (coinsecure)| इन चार एक्सचेंजों में ही उद्यम पूंजी (venture capital) तथा निजी शेयर पूंजी (private equity capital) का धन के रूप में निवेश किया जा रहा है|

                                                          क्या है बिटकॉइन माइनिंग?

 

जिस प्रकार धरती पर खनन प्रक्रिया के माध्यम से खनिज निकाले जाते हैं, ठीक उसी प्रकार इंटरनेट पर माइनिंग के ज़रिये बिटकॉइन बनाए जाते हैं।

आभासी दुनिया में बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया को बिटकॉइन माइनिंग कहते हैं। 

यह काम करने वालों को माइनर्स कहा जाता है, जो बिटकॉइन लेन-देन में सहायता करते हैं। 

एक अनुमान के अनुसार फिलहाल आभासी दुनिया में केवल 21 करोड़ बिटकॉइन की क्षमता मौज़ूद हैं और एक करोड़ बिटकॉइन की माइनिंग के जा चुकी है। 

कैसे होती है माइनिंग? 
बिटकॉइन माइनिंग दो तरह की होती है: 
    1. सोलो (अकेले) माइनिंग: इसमें कोई भी व्यक्ति अकेले माइनिंग करता है और इसके लिये बेहद शक्तिशाली कंप्यूटर की आवश्यकता होती है, जिसमें काफी अधिक खर्च और ऊर्जा चाहिये होती है। 
    2. पूल (समूह) माइनिंग: इसमें समूह बनाकर माइनिंग की जाती है और बहुत से कंप्यूटर एक साथ पूल बनाकर माइनिंग करते हैं। 

माइनिंग के लिये एक वर्चुअल वालेट बनाना होता है, जिसमें आपको बिटकॉइन मिलते हैं। इसके लिये एक एड्रेस भी बनाना होता है। 

माइनिंग करने के लिये कई कंपनियाँ सॉफ्टवेयर भी देती हैं, जिन्हें डाउनलोड करके माइनिंग की जा सकती है।

ब्लॉक चेन: माइनिंग करने की प्रक्रिया ब्लॉक चेन से जुड़कर पूरी करनी होती है। 

इसमें ब्लॉक्स को हल करना होता है, जो बेहद जटिल गणितीय प्रणाली होती है। 

इसे हल करने के लिये प्रति सेकंड लाखों की संख्या में कैलकुलेशन करने पड़ते हैं और इसके बाद ही ट्रांजेक्शन पूरा हो पाता है। 

ब्लॉक्स को हल करने पर रिवॉर्ड भी मिलते हैं, जो बिटकॉइन के रूप में दिये जाते हैं।

माइनर्स को बिटकॉइन कहीं से खरीदने नहीं पड़ते, बल्कि वे अपनी प्रतिभा के दम पर इन्हें पा लेते हैं। 

एक अनुमान के अनुसार कोई व्यक्ति माइनिंग से 25 से 30 बिटकॉइन कमा सकता है, जिनका वर्तमान मूल्य करोड़ों रुपयों में है। 

बिटकॉइन माइनिंग का प्रमुख उद्देश्य बिटकॉइन नोट्स के साथ-साथ इसके नेटवर्क को सुरक्षित रखना है। 

इसी काम की फीस माइनर्स लेते हैं और इसके लिये कम्प्यूटिंग पावर का इस्तेमाल किया जाता है तथा नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिये इसे सिंक्रोनाइज़ भी किया जाता है। 

माइनिंग केवल वही लोग कर सकते हैं, जिनके पास विशेष गणना करने वाले उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर हों और वे स्वयं भी इस कार्य में दक्ष हों। इसके लिये अत्यधिक बिजली की निर्बाध आवश्यकता होती है।

 

बिटकॉइन की पूर्ति का स्रोत

भारत में अधिकतर बिटकॉइन मुद्रा का प्रसार चीन से होता है, जिसका प्रसार क्षेत्र बहुत बड़ा होने के साथ साथ-प्रभावी भी है|

कुछ समय पहले यूनोकॉइन एक्सचेंज ने प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत भेजी जाने वाली धनराशि (remittances) को बिटकॉइन के रूप में भेजने के लिये नई व्यवस्था भी प्रदान की है|

बिटकॉइन का संग्रहण 

देश के सभी एक्सचेंज बिटकॉइन खरीदारों द्वारा अपनी मुद्रा को संचित करने के लिये बिटकॉइन वॉलेट्स (wallets) की व्यवस्था उपलब्ध कराते हैं|

वर्तमान में देश में दो तरह की संग्रहण व्यवस्था कार्यरत है- ऑनलाइन संग्रहण के रूप में एवं वास्तविक संग्रहण के रूप में | ध्यातव्य है कि ये दोनों ही व्यवस्थाएँ निःशुल्क उपलब्ध हैं|

बिटकॉइन मुद्रा के विषय में भारतीय परिदृश्य

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी एक बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि बिटकॉइन एक करेंसी अथवा मुद्रा नहीं है|

हालाँकि, कुछ निजी शेयर कंपनियाँ बिटकॉइन के लेनदेन, व्यापार इत्यादि में निवेश कर रही हैं| 

जोखिम एवं नियम

बिटकॉइन के विषय में सबसे बड़ी समस्या इसका ऑनलाइन होना हैं, क्योंकि सम्पूर्ण व्यवस्था ऑनलाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा एक बहुत बड़ी समस्या बन जाती है| दरअसल, इसके चलते इसके हैक होने का खतरा बना रहता है|

दूसरी सबसे बड़ी समस्या इसके नियंत्रण एवं प्रबन्धन की है| भारत जैसे कई देशों ने अभी तक इसे मुद्रा के रूप में स्वीकृति प्रदान नहीं की हैं, ऐसे में इसका प्रबन्धन एक बड़ी समस्या है|

विशेषज्ञों के अनुसार, इंटरनेट के अविष्कार के बाद तकनीकी रूप से यह 21वीं सदी की दूसरी सबसे बड़ी क्रांतिकारी खोज है| 

हालाँकि, बहुत से आर्थिक विशेषज्ञों ने इससे दूरी बनाए रखने यानी बिटकॉइन के अंतर्गत निवेश न करने की सलाह भी दी है|

                                                         पर्यावरण को भी खतरा

बिटकॉइन से केवल आर्थिक जोखिम ही नहीं जुड़े हैं, बल्कि जानकार इसे पर्यावरण के लिये भी हानिकारक मानते हैं। बिटकॉइन माइनिंग में बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है। प्रत्येक बिटकॉइन लेन-देन के लिये लगभग 237 किलोवाट बिजली की खपत होती है। इससे प्रतिघंटा 92 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है, जो बोइंग-747 विमान के बराबर है और पर्यावरण के लिये सीधा खतरा है। इसके अलावा इसमें लगने वाले ऊर्जा भार के चलते विश्व में बिजली की कमी भी हो सकती है। चीन और दक्षिण कोरिया ने तो बिटकॉइन माइनिंग करने वालों को बिजली सप्लाई काटने के नोटिस देने शुरू कर दिये हैं। 

कर प्रबन्धन

ज़ेबपे (zebpay) द्वारा दिये गए सुझावों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति निरंतर रूप से बिटकॉइन को खरीदता एवं बेचता है, तो इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाले मुनाफे तथा हानि को उसके व्यापारिक मुनाफे एवं हानि के रूप में ही देखा जाना चाहिये|

जबकि, यदि कोई व्यक्ति यदा-कदा ही बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त करता है तो इसे निवेश की खरीद-फरोख्त के रूप में देखा जाना चाहिये| अतः इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाले मुनाफे तथा हानि को उसके पूंजी लाभ तथा पूंजी हानि के रूप में देखा जाना चाहिये|

इसीलिये कम समय के लिये किये जाने वाले निवेश से प्राप्त लाभ को आयकर का हिस्सा मानकर उस पर 30 प्रतिशत का तथा अधिक समय के लिये निवेश से प्राप्त लाभ पर 20 प्रतिशत का आयकर अधिरोपित किया जाना चाहिये|

                                                                       क्लाउड स्टोरेज क्या है? 

क्लाउड स्टोरेज का मतलब है कि आप अपना डेटा (तस्वीर हो या डॉक्यूमेंट) अपनी डिवाइस पर रखने के बजाय किसी और जगह सर्वर पर स्टोर करके रखते हैं, जिसे कहीं से भी ऑनलाइन ऐक्सेस किया जा सकता है। मोबाइल, कंप्यूटर और पेन ड्राइव इत्यादि में जो डाटा स्टोर किया जाता है वह स्टोरेज का डिजिटल माध्यम है। वहीं क्लाउड स्टोरेज डाटा स्टोर करने का एक वर्चुअल माध्यम है। इसमें डाटा आपके फोन या कंप्यूटर की लोकल ड्राइव में नहीं होता, बल्कि  किसी दूसरे कंपनी के सर्वर पर स्टोर होता है और इस डाटा को आप कई माध्यमों से एक्सेस कर सकते हैं। इस डाटा का मैनेजमेंट होस्टिंग कंपनी के पास होता है और इसमें डाटा स्टोरेज के लिये एप का सहारा लिया जाता है। क्लाउड स्टोरेज में डाटा स्टोर करने के लिये स्पेस अलग-अगल कंपनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। गूगल ड्राइव ऐसी ही एक क्लाउड स्टोरेज सेवा है, जो एंड्राइड मोबाइल फोनों और विडोज़ कंप्यूटरों पर नि:शुल्क उपलब्ध है। इसमें फोटो, वीडियो और म्यूजिक सहित अन्य फाइल फोल्डर का बैकअप लिया जा सकता।

 

प्रबन्धन की आवश्यकता

स्पष्ट है कि यदि लम्बे समय के लिये बिटकॉइन को प्रबन्धन के दायरे से बाहर रखा जाता है तो आपराधिक तत्त्वों के साथ-साथ आतंकी गुटों द्वारा भी इसका गलत इस्तेमाल किये जाने का खतरा बना रहेगा| 

वस्तुतः बिटकॉइन का प्रबन्धन ठीक उसी रूप में किया जाना चाहिये जिस रूप में सेबी पूंजी बाज़ार में मौजूद पी-नोट्स (P-notes) का प्रबन्धन एवं नियमन करता है| 

इनके अलावा हाल ही में वेनेज़ुएला ने पेट्रो नामक अपनी एक नई आभासी मुद्रा जारी की है, जिसका उपयोग वहाँ के तेल, गैस, सोना और हीरा उद्योग कर सकेंगे। वेनेज़ुएला पर लगभग 9 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज़ है। वहाँ की अर्थव्यवस्था तेल-संसाधनों पर निर्भर रही है, लेकिन तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में गिरावट के चलते इसे आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह उम्मीद की जा रही है कि नई आभासी मुद्रा वेनेज़ुएला को लेन-देन में रुकावटों से निपटने तथा आर्थिक स्थिरता लाने में मदद करेगी।

निष्कर्ष:

सर्वप्रथम यह समझ लेना ज़रूरी है कि सभी क्रिप्टो-करेंसी बिटकॉइन नहीं हैं, जबकि सभी बिटकॉइन क्रिप्टो-करेंसी हैं। पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टो-करेंसी बड़ी तेज़ी से लोकप्रिय हुई है। वर्तमान में, भारत सहित कई देशों में यह न तो अवैध है और न ही वैध। क्रिप्टो-करेंसी का बाज़ार वर्तमान में 100 अरब डॉलर के आँकड़े को पार कर चुका है। बिटकॉइन एक मार्केट बबल की तरह है, जो कभी भी फूट सकता है और आपकी करोड़ों की पूंजी रातोंरात ज़ीरो हो सकती है। इसे कौन चलाता है कोई नहीं जानता, लेकिन इसकी बढ़ती कीमत ने लोगों को हैरत में डाल दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने बिटकॉइन को मान्यता नहीं दी है, उसने स्पष्ट कहा है कि यह कोई करेंसी अथवा मुद्रा नहीं है। इसके बावजूद इसमें निवेश करने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। हमारे देश में कुछ निजी शेयर कंपनियाँ बिटकॉइन के लेनदेन, व्यापार इत्यादि में निवेश कर रही हैं, लेकिन इसमें किये जाने वाले निवेश की गारंटी लेने वाला कोई नहीं है। ऐसे में यदि आपका पैसा डूबता है तो उसकी सुनवाई कहीं नहीं होगी, क्योंकि इसकी शिकायत कहीं की ही नहीं जा सकती, लेकिन इस जोखिम से अर्थव्यवस्था को होने वाले खतरे को भी नज़रंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में इसके बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए बिटकॉइन के नियमन की व्यवस्था करना बेहद ज़रूरी है। 

 

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