भारत में नवपाषाण काल की प्रादेशिक विशिष्टताओं की रुपरेखा प्रस्तुत कीजिए

भारत में नवपाषाण काल की प्रादेशिक विशिष्टताओं की रुपरेखा प्रस्तुत कीजिए

जिस समय के मनुष्यों के जीवन की जानकारी का कोई लिखित साक्ष्य  नहीं मिलता उसे प्राक् इतिहास या प्रागैतिहास कहा जाता है।प्राप्त अवशेषों से ही उस काल के जीवन को जानते है।औज़ारों की प्रकृति के आधार पर प्राक् इतिहास को तीन भागों में बाँटा जाता हैं।

पुरापाषाण काल

मध्यपाषाण काल

नवपाषाण काल

1- पुरापाषाण काल संस्कृति के अवशेष सोहन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी, नर्मदा नदी घाटी एवं भोपाल के भीमबेटका से प्राप्त हुए हैं।

2- यहाँ से हैण्ड-ऐक्स, क्लीवर
और स्क्रेपर आदि उपकरण प्राप्त हुए है।

3- यहाँ चोंतरा नामक स्थान से हस्तकुठार तथा शल्क पाए गए हैं।

4- नर्मदा घाटी के नरसिंहपुर, महाराष्ट्र, के नेवासा, आन्ध्र प्रदेश के गिदलूर, करीमपुडी तथा तमिलनाडु के वादमदुंराई अतिरमपक्कम् से अवशेष प्राप्त हुए है।

1- मध्य प्रदेश में आदमगढ़ तथा राजस्थान में बागोर से पशुपालन के प्राचीनतम् साक्ष्य  प्राप्त हुए है।

2- मानव केअस्थि पंजर क सबसे पहला साक्ष्य प्रतापगढ़ के सराय नाहर तथा महदहा नामक स्थान से प्राप्त हुआ है।

3-  इस काल के उपकरण छोटे थे जिन्हें माइक्रोलिथ कहा गया।

4-  क्वार्टजाइट पत्थर के औजार बनाए जाते थे।

5- पश्चिम बंगाल के वीरमानपुर तथा गुजरात के लंघनाज महत्वपूर्ण स्थल थे।

6- सराय नाहर राय तथा महदहा व दमदमा सबसे पुराने मध्यपाषाण स्थल हैं।

7- आदम (मध्य प्रदेश) से गुफा चित्रकारी के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।

 

1-मेहरगढ़ से कृषि के प्राचीनतम् साक्ष्य मिले हैं।

2-बुर्जहोम तथा गुफकराल से अनेक गर्तावास, अनेक प्रकार के मृदभाण्ड एवं प्रस्तर व हड्डी के अनेक औजार प्राप्त हुए है।

3- चिरांद (बिहार ) से प्रचुर मात्रा मे हड्डी के उपकरण प्राप्त हुए हैं।

4- कोल्डिहवा से चावल क प्राचीनतम् साक्ष्य मिलता हैं।

5- बेलारी दक्षिण भारत में प्रमुख स्थल था।

6- कुम्भकारी सर्वप्रथम इसी काल में द्ष्टिगोचर होती हैं।

7-इस काल में आग तथा पहिए का अविष्कार हुआ।

8- इस समय की मुख्य विशेषता खाद्म उत्पादन, पशुओं के उपयोग की जानकारी तथा स्थिर ग्राम्य जीवन था।

 

 

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