प्रश्न: सल्तनतकालीन वास्तुकला के विकास को कितने भागों में बाँटा जा सकता है,सविस्तार व्याख्या कीजिये ?

प्रश्न: सल्तनतकालीन वास्तुकला के विकास को कितने भागों में बाँटा जा सकता है,सविस्तार व्याख्या कीजिये ?

                                सल्तनतकालीन वास्तुकला के विकास को मुख्यतः चार भागों में बाँटा जा सकता है-

1.  गुलाम तथा खिलजी काल में वास्तुकला

 

यह काल स्थापत्य कला के विकास की प्रथम अवस्था माना जाता है। इस काल की इमारतें हिन्दू शैली के प्रत्यक्ष प्रभाव में बनी है, जिनकी दीवारें चिकनी एवं मज़बूत हैं। इस काल में बने स्तम्भ, मंदिरों के प्रतीक होते हैं। पहली बार हिन्दू कारीगरों द्वारा बरामदों में मेहराबदार दरवाज़े बनाये गये। मुसलमानों द्वारा निर्मित मस्जिदों के चारों तरफ़ मीनारें उनके उच्च विचारों का प्रतीक हैं।

प्रमुख इमारत:  'क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' ( कुतुबुद्दीन ऐबक);

                    कुतुबमीनार (कुतुबुद्दीन ऐबक व इल्तुतमिश)

                    जमात खाना मस्जिद (अलाउद्दीन ख़िलजी)

2.  तुगलक काल में वास्तुकला

 

तुग़लक़ वंश के शासकों ने ख़िलजी कालीन इमारतों की भव्यता एवं सुन्दरता के स्थान पर इमारतों की सादगी एवं विशालता पर अधिक ज़ोर दिया। अपने पूर्व शासकों के विरुद्ध ग़यासुद्दीन तुग़लक़ ने सादगी एवं मितव्ययिता की नीति अपनाई। मुहम्मद बिन तुग़लक़ की प्रशासनिक समस्याओं एवं धनाभाव के कारण फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने पुरानी विचारधारा के कारण साज-सज्जा पर अधिक ध्यान नहीं दिया।

प्रमुख इमारत:   ग़यासुद्दीन का मक़बरा(ग़यासुद्दीन तुग़लक़),

                      आदिलाबाद का क़िला(मुहम्मद बिन तुग़लक़)

3.  सैयद कालीन वास्तुकला

 

इस समय तक स्थापत्य कला का पतन आरम्भ हो चुका था। सैय्यद कालीन इमारतों को ख़िलजी कालीन इमारतों की नकल भर माना जा सकता है। सैय्यदों एवं लोदियों के समय में ख़िलजी युग की प्राणवंत शैली को पुन:जीवित करने के प्रयास किये गये। किन्तु ये सीमित अंशों में ही सफल हुए तथा यह शैली “तुग़लक़ युग के मृत्युकारी परिणाम को हटा नहीं सकी।” इस काल में ख़िज़्र ख़ाँ द्वारा स्थापित 'ख़िज़्राबाद' एवं मुबारक शाह द्वारा स्थापित नगर 'मुबारकाबाद' का निर्माण हुआ।

प्रमुख इमारत:सुल्तान मुबारक शाह का मक़बरा;

                    मुहम्मद शाह का मक़बरा

4.  लोदी काल में वास्तुकला

 

लोदी काल में किये गए कुछ महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्य निम्नलिखित हैं-

(अ)बहलोल लोदी का मक़बरा

यह मक़बरा 1418 ई. में सिकंदर शाह लोदी द्वारा बनवाया गया था। 5 गुम्बदों वाले इस मक़बरें के बीच में स्थित गुम्बद की ऊँचाई सर्वाधिक है। इसके निर्माण में लाल पत्थर का प्रयोग हुआ है।

(ब)सिकन्दर लोदी का मक़बरा

इब्राहीम लोदी द्वारा यह मक़बरा 1517 ई. में बनवाया गया। मक़बरे में निर्मित गुम्बद के चारों तरफ़ आठ खम्भों की छतरी निर्मित है। यह मक़बरा एक ऐसी बड़ी चहारदीवारी के प्रांगण में स्थित है, जिसके चारों किनारे पर काफ़ी लम्बे बुर्ज है। इसकी छत पर दोहरे गुम्बद की व्यवस्था है। जॉन मार्शल के अनुसार सम्भवतः इस शैली ने मुग़ल सम्राटों के विशाल उद्यान युक्त मक़बरे का पथ प्रदर्शन किया। मुग़ल शैली को अपने विकास में इस मक़बरे से महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।

(क)मोठ की मस्जिद

इस मस्जिद का निर्माण ‘सिकन्दर लोदी’ के वज़ीर मियाँ भुआ द्वारा करवाया गया। मस्जिद की प्रशंसा में सर सैय्यद अहमद ने कहा कि, "यह लोदी स्थापत्य आकार में सुन्दर एवं एक उपहार कृति है।

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